अपनी नजर को बदलो – यथा दृष्टि तथा सृष्टि Story by Sandeep Maheshwari

अपनी नजर को बदलो - यथा दृष्टि तथा सृष्टि Short Motivational Story By Sandeep Maheshwari

नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है आज मैं आपको संदीप माहेश्वरी द्वारा कही गयी प्रेरणात्मक कहानी अपनी नजर को बदलो – यथा दृष्टि तथा सृष्टि बताऊंगा और मुझे पूरा भरोसा है की आप इससे जरूर inspire होंगे तो चलिए इस motivational story को शुरू करते है

Story by:Sandeep Maheshwari
Type:Motivation Video by Sandeep Maheshwari
Language:Hindi
Author:Sandeep Maheshwari
Topic:अपनी नजर को बदलो – यथा दृष्टि तथा सृष्टि

Powerful Motivational Story by Sandeep Maheshwari – अपनी नजर को बदलों

एक बार की बात है एक बहुत बड़ा नेता एक साधु के छोटे से आश्रम में गया क्योंकि उसने बहुत सुना था उस साधु के बारे में और उसके मन में आए कि मैं एक बार जा कर देखता हूं कि लोग इतनी तारीफ क्यों करते हैं उसकी तो जब वह उस आश्रम में गया तो वहां पर एक छोटा सा कमरा था जहां पर एक कालीन बिछा हुआ था.

वहां पर कुछ लोग बैठे हुए थे नीचे और साधु जी सामने बैठे हुए थे कुछ सवाल जवाब चल रहा था तो जैसे ही बंदर गया वह अकेला नहीं था उसके साथ में चार बॉडीगार्ड भी थे और उसको यह आदत थी कि वह जहां पर भी जाता था जो लोग अपनी जगह से खड़े हो जाते थे उसकी तरफ देखते थे हाथ जोड़ते थे और सर झुकाते थे |

लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ साधु ने उसकी तरफ देखा तक नहीं क्योंकि वह साधु किसी के सवाल का जवाब दे रहे थे लेकिन नेता को इस बात से गुस्सा आ गया नेता को लगा कि यह मेरी बेज्जती है तो उस नेता ने साधु की बात को बीच में काटते हुए थोड़ा गुस्से से कहा कि मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं

साधु ने उसकी तरफ देखा और बोले आप थोड़ी देर रुकिए पहले मैं इनके सवाल का जवाब दे दूँ | उसके बाद मैं आपसे बात करूंगा तब तक आप अगर चाहे तो आप बैठ सकते हैं बस साधु का इतना कहने की देरी थी |

अपनी नजर को बदलो – यथा दृष्टि तथा सृष्टि

नेता का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और फिर उसने अपना सारा गुस्सा हो ऊपर गुस्सा उस साधु पर निकाल दिया | अभी तक वह नेता बहुत तमीज से बात कर रहा था यानि कि आप आप कह करके बात कर रहा था अब वह तू तड़ाक पर उतर आया | नेता ने उस साधु को का कहा तुझे पता भी है मैं कौन हूं ? और तू किससे बात कर रहा है ?

साधु ने उसकी तरफ देखा और कहा मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप कौन हैं, लेकिन आप जो कोई भी है अगर आप चाहते हैं कि मैं आपके सवाल का जवाब दूं या आप से बात करूं तो आपको कुछ देर रुकना होगा और साधु की यह कहते हैं नेता गुस्से से पागल हो गया और वही सब के सामने चीखने चिल्लाने लग गया |

अब मैं तुझे तेरी असली औकात दिखाऊंगा तूने मुझसे पंगा ले करके ठीक नहीं किया तुझे पता भी है मैं तेरे बारे में क्या सोचता हूँ |

साधु ने फिर से उसकी तरफ देखा और बड़े प्रेम से कहा कि मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप मेरे बारे में क्या सोचते हैं आप जो चाहे वह मेरे बारे में सोच सकते हैं फिर उस नेता ने कहा तू चाहे सुनना चाहता है या नहीं लेकिन मैं तुझे बताऊंगा यही सब के सामने कि मैं तेरे बारे में क्या सोचता हूं |

तू एक बहुत ही घटिया इंसान है तू कोई साधु नहीं है तू एक ढोंगी है पाखंडी है और यहां पर जितने भी लोग बैठे हैं उन सबको बेवकूफ बना रहा है तेरा बस एक ही मकसद है इन लोगों की जेब में जितना भी पैसा है वह सब तेरे पास में आ जाए | तू अपने फायदे के लिए इन लोगों का इस्तेमाल कर रहा है और अब मैं तुझे नहीं छोड़ने वाला हूं |

तेरा पर्दाफाश करके रहूंगा पूरी दुनिया के सामने लेकिन उसका इतना बोलने के बाद भी उस साधु के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान बनी ही रही | यह देखकर वह और भी तिलमिला गया और उसने कहा अब बहुत हो गया |

अब मैं यहां 1 मिनट भी नहीं रुकने वाला लेकिन अभी भी तेरे पास में मौका है अगर मुझ से माफी मांगी है या मुझसे कुछ कहना है तो कह सकते हो | इतना सब होने के बाद भी साधु बिल्कुल शांत था और उनके चेहरे पर एक मुस्कान थी उन्होंने अपनी आंखें बंद कर दी फिर साधु ने अपनी आंखें खोली हाथ जोड़े और कहा कि मुझे आपसे कोई गिला शिकवा नहीं है |

मेरे मन में आपके लिए कोई भी गलत ख्याल नहीं है जो भी आपने मेरे बारे में कहा वह आपकी अपनी सोच थी तो मुझे आप में कोई भी बुराई नजर नहीं आती है मुझे आप बहुत ही भले इंसान लग रहे हैं और साधु के इतना कहते ही नेताजी का दिमाग सातवें आसमान पर पहुंच गया |

उनके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी थी क्योंकि उस साधु ने वही कहा जो बाकी सब लोग उस नेता को कहते हैं और वह खुशी खुशी उस आश्रम से अपने घर की तरफ चला गया और जा कर के अपने पिताजी के साथ में बैठ गया |

उसके पिताजी की आंखें बंद थी और वह ध्यान में थे पूरी जिंदगी उन्होंने सिर्फ लोगों की सेवा करी और और बदले में कुछ भी उम्मीद नहीं किया तो थोड़ी देर बाद जब उन्होंने अपनी आंखें खोली और देखा अपने बेटे को अपने साथ बैठे हुए तो उनके बेटे के चेहरे पर आज एक अजीब सी खुशी थी जो आज से पहले उन्होंने कभी नहीं देखी थी

फिर उसने एक एक करके सब कुछ बताया कि आज क्या हुआ किस तरह से वह आश्रम गया वहां पर क्या हुआ उसने क्या कहा उन्होंने क्या कहा तो जब उसके पिताजी ने पूरी बात सुनी तो थोड़ा सा मुस्कुराए और अपने बेटे को देख करके बोले कि उन्होंने तुम्हारी तारीफ नहीं करी |

क्योंकि उन्होंने वह नहीं कहा कि जो तुम हो उन्होंने कहा कि जो वह खुद है और तुमने जो भी कुछ उनको कहा वह वह नहीं का कि जो वह है बल्कि तुमने वह का जो तुम खुद हो यही बात वेदों में भी कही गई है यथा दृष्टि तथा सृष्टि यह दुनिया तुम्हें वेसी नहीं दिखी दिखती जेसी यह दुनिया है

यह दुनिया तुम्हें वैसी दिखती है जैसे तुम खुद हो जिसकी नजर जैसी है उसके लिए यह दुनिया वैसी ही है तो अगर तुम अपनी दुनिया को बदलना चाहते हो तो उसका सिर्फ एक तरीका है अपनी नजर को बदलो |

Short Motivational Story By Sandeep Maheshwari | Apni Nazar Ko Badlo

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निष्कर्ष 

मुझे पूरी उम्मीद है कि इस प्रेरणात्मक कहानी अपनी नजर को बदलो – यथा दृष्टि तथा सृष्टि से आपको काफी कुछ सीखने को मिला होगा अगर आप चाहते हो कि आपको और भी ऐसी Motivational Story मिलती रहे तो आप बिलकुल सही जगह पर है इस motivational story को पढ़ने के लिए और आपका कीमती समय देने के लिए दिल से आप सभी का धन्यवाद!

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