Home Stotram मधुराष्टकम् : अधरं मधुरं वदनं मधुरं लिरिक्स – Adharam Madhuram Lyrics

मधुराष्टकम् : अधरं मधुरं वदनं मधुरं लिरिक्स – Adharam Madhuram Lyrics

Madhurashtakam Adhram Madhuram

Adharam Madhuram Lyrics : अधरं मधुरं वदनं मधुरं लिरिक्स” में भगवान् श्रीकृष्ण के बालरूप को बड़ी ही मधुरता से माधुरतम रूप का वर्णन किया गया है। भगवान् श्रीकृष्ण के प्रत्येक अंग, गतिविधि एवं क्रिया-कलाप मधुर है और उनके संयोग से अन्य सजीव और निर्जीव वस्तुएं भी मधुरता को प्राप्त कर लेती हैं

इस आर्टिक्ल में ‘मधुराष्टकम्‘ के साथ आगे उसका अर्थ भी दिया गया है । श्री वल्लभाचार्य द्वारा रचित मधुराष्टकम के पाठ से जीवन में प्रेम और आनंद का संचार होता है

Adharam Madhuram Song Detail :

Album : Madhurashtakam (श्रीवल्लभाचार्य कृत)
Composed by :Sri Vallabhacharya
Created by :Aacharya Shree Vallabhacharya (श्रीवल्लभाचार्य कृत)
Genre : Stotram
Religion : Hinduism

Madhurashtakam Lyrics in Hindi – Adharam Madhuram Lyrics Hindi Meaning

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥

अर्थ : अधरं मधुरं – श्री कृष्ण के होंठ मधुर हैं
वदनं मधुरं – मुख मधुर है
नयनं मधुरं – नेत्र (ऑंखें) मधुर हैं
हसितं मधुरम् – मुस्कान मधुर है
हृदयं मधुरं – हृदय मधुर है
गमनं मधुरं – चाल भी मधुर है
मधुराधिपते – मधुराधिपति (मधुरता के ईश्वर श्रीकृष्ण)
अखिलं मधुरम् – सभी प्रकार से मधुर है

श्री मधुराधिपति (श्री कृष्ण) का सभी कुछ मधुर है। उनके अधर (होंठ) मधुर है, मुख मधुर है, नेत्र मधुर है, हास्य (मुस्कान) मधुर है, हृदय मधुर है और चाल (गति) भी मधुर है॥

वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥२॥

अर्थ : वचनं मधुरं – भगवान श्रीकृष्ण के वचन (बोलना) मधुर है
चरितं मधुरं – चरित्र मधुर है
वसनं मधुरं – वस्त्र मधुर हैं
वलितं मधुरम् – वलय, कंगन मधुर हैं
चलितं मधुरं – चलना मधुर है
भ्रमितं मधुरं – भ्रमण (घूमना) मधुर है
मधुराधिपते – मधुरता के ईश्वर श्रीकृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है

श्री मधुराधिपति (भगवन श्री कृष्ण) का सभी कुछ मधुर है। उनका बोलना (वचन) मधुर है, चरित्र मधुर है, वस्त्र मधुर है, वलय मधुर है, चाल मधुर है और घूमना (भ्रमण) भी अति मधुर है।

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥३॥

अर्थ : वेणुर्मधुरो – श्री कृष्ण की वेणु मधुर है, बांसुरी मधुर है
रेणुर्मधुरः – चरणरज मधुर है, उनको चढ़ाये हुए फूल मधुर हैं
पाणिर्मधुरः – हाथ (करकमल) मधुर हैं
पादौ मधुरौ – चरण मधुर हैं
नृत्यं मधुरं – नृत्य मधुर है
सख्यं मधुरं – मित्रता मधुर है
मधुराधिपते – हे श्रीकृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है

भगवान् कृष्ण की वेणु मधुर है, बांसुरी मधुर है चरणरज मधुर है, करकमल (हाथ) मधुर है, चरण मधुर है, नृत्य मधुर है, और सख्या (मित्रता) भी अति मधुर है। श्री मधुराधिपति कृष्ण का सभी कुछ मधुर है॥

गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥४॥

अर्थ : गीतं मधुरं – श्री कृष्ण के गीत मधुर हैं
पीतं मधुरं – पीताम्बर मधुर है
भुक्तं मधुरं – भोजन (खाना) मधुर है
सुप्तं मधुरम् – शयन (सोना) मधुर है
रूपं मधुरं – रूप मधुर है
तिलकं मधुरं – तिलक (टीका) मधुर है
मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है

श्री मधुराधिपति कृष्ण का सभी कुछ मधुर है। उनके गीत (गान) मधुर है, पान (पीताम्बर) मधुर है, भोजन मधुर है, शयन मधुर है। उनका रूप मधुर है, और तिलक (टिका) भी अति मधुर है।

करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥५॥

अर्थ : करणं मधुरं – कार्य मधुर हैं
तरणं मधुरं – तारना मधुर है (दुखो से तारना, उद्धार करना)
हरणं मधुरं – हरण मधुर है (दुःख हरणा)
रमणं मधुरम् – रमण मधुर है
वमितं मधुरं – उद्धार मधुर हैं
शमितं मधुरं – शांत रहना मधुर है
मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है

श्री कृष्ण, श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है। उनक कार्य मधुर है, उनका तारना, दुखो से उबरना मधुर है। दुखो का हरण मधुर है। उनका रमण मधुर है, उद्धार मधुर है और शांति भी अति मधुर है।

गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥६॥

अर्थ : गुंजा मधुरा – गर्दन मधुर है
माला मधुरा – माला भी मधुर है
यमुना मधुरा – यमुना मधुर है
वीची मधुरा – यमुना की लहरें मधुर हैं
सलिलं मधुरं – यमुना का पानी मधुर है
कमलं मधुरं – यमुना के कमल मधुर हैं
मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है

श्री कृष्ण की गुंजा मधुर है, माला भी मधुर है। यमुना मधुर है, उसकी तरंगे भी मधुर है, उसका जल मधुर है और कमल भी अति मधुर है। श्री मधुराधिपति कृष्ण का सभी कुछ मधुर है॥

गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥७॥

अर्थ : गोपी मधुरा – गोपियाँ मधुर हैं
लीला मधुरा – कृष्ण की लीला मधुर है
युक्तं मधुरं – उनक संयोग मधुर है
मुक्तं मधुरम् – वियोग मधुर है
दृष्टं मधुरं – निरिक्षण (देखना) मधुर है
शिष्टं मधुरं – शिष्टाचार (शिष्टता) भी मधुर है
मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है

श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है। उनकी गोपिया मधुर है, उनकी लीला मधुर है, उनक सयोग मधुर है, वियोग मधुर है, निरिक्षण मधुर (देखना) है और शिष्टाचार भी मधुर है।

गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥८॥

अर्थ : गोपा मधुरा – गोप मधुर हैं
गावो मधुरा – गायें मधुर हैं
यष्टिर्मधुरा – लकुटी (छड़ी) मधुर है
सृष्टिर्मधुरा – सृष्टि (रचना) मधुर है
दलितं मधुरं – दलन (विनाश करना) मधुर है
फलितं मधुरं – फल देना (वर देना) मधुर है
मधुराधिपते – हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति)
अखिलं मधुरम् – आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है

श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है। उनकी गोप मधुर हैं गायें मधुर हैं लकुटी (छड़ी) मधुर है सृष्टि (रचना) मधुर है दलन (विनाश करना) मधुर है फल देना (वर देना) मधुर है हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति) आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है

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  • श्रीवल्लभाचार्य कृत मधुराष्टकं में श्रीकृष्ण के बालरूप को मधुरता से माधुरतम रूप का वर्णन किया गया है। श्रीकृष्ण के प्रत्येक अंग एवं क्रिया-कलाप मधुर है, और उनके संयोग से अन्य सजीव और निर्जीव वस्तुएं भी मधुरता को प्राप्त कर लेती हैं।

મધુરાષ્ટકમ્ – અધરં મધુરં | Adharam Madhuram Lyrics in Gujarati

અધરં મધુરં વદનં મધુરં નયનં મધુરં હસિતં મધુરમ્ ।
હૃદયં મધુરં ગમનં મધુરં મધુરાધિપતેરખિલં મધુરમ્ ॥૧॥

વચનં મધુરં ચરિતં મધુરં વસનં મધુરં વલિતં મધુરમ્ ।
ચલિતં મધુરં ભ્રમિતં મધુરં મધુરાધિપતેરખિલં મધુરમ્ ॥૨॥

વેણુર્મધુરો રેણુર્મધુરઃ પાણિર્મધુરઃ પાદૌ મધુરૌ ।
નૃત્યં મધુરં સખ્યં મધુરં મધુરાધિપતેરખિલં મધુરમ્ ॥૩॥

ગીતં મધુરં પીતં મધુરં ભુક્તં મધુરં સુપ્તં મધુરમ્ ।
રૂપં મધુરં તિલંક મધુરં મધુરાધિપતેરખિલં મધુરમ્ ॥૪॥

કરણં મધુરં તરણં મધુરં હરણં મધુરં રમણં મધુરમ્ ।
વમિતં મધુરં શમિતં મધુરં મધુરાધિપતેરખિલં મધુરમ્ ॥૫॥

ગુંજા મધુરા માલા મધુરા યમુના મધુરા વીચી મધુરા ।
સલિલં મધુરં કમલં મધુરં મધુરાધિપતેરખિલં મધુરમ્ ॥૬॥

ગોપી મધુરા લીલા મધુરા યુક્તં મધુરં મુક્તં મધુરં ।
દૃષ્ટં મધુરં શિષ્ટં મધુરં મધુરાધિપતેરખિલં મધુરમ્ ॥૭॥

ગોપા મધુરા ગાવો મધુરા યષ્ટિર્મધુરા સૃષ્ટિર્મધુરા ।
દલિતં મધુરં ફલિતં મધુરં મધુરાધિપતેરખિલં મધુરમ્ ॥૮॥

॥ ઇતિ શ્રીમદ્વલ્લભાચાર્યવિરચિતં મધુરાષ્ટકં સમ્પૂર્ણમ્ ॥

मधुराष्टकम् : अधरं मधुरं वदनं मधुरं लिरिक्स – Adharam Madhuram Lyrics

Adharam Madhuram Vadanam Madhuram
Nayanam Madhuram Hasitam Madhuram
Hridayam Madhuram Gamanam Madhuram
Madhur-Adipater Akhilam Madhuram || 1 ||

Vachanam Madhuram Charitam Madhuram
Vasanam Madhuram Valitam Madhuram
Chalitam Madhuram Bhramitam Madhuram
Madhur-Adipater Akhilam Madhuram || 2 ||

Venur Madhuro Renur Madhurah
Panir Madhurah Padau Madhurau
Nrityam Madhuram Shakhyam Madhuram
Madhur-Adipater Akhilam Madhuram || 3 ||

Gitam Madhuram Pitam Madhuram
Bhuktam Madhuram Suptam Madhuram
Rupam Madhuram Tilakam Madhuram
Madhur-Adipater Akhilam Madhuram || 4 ||

Karanam Madhuram Taranam Madhuram
Haranam Madhuram Ramanam Madhuram
Vamitam Madhuram Shamitam Madhuram
Madhur-Adipater Akhilam Madhuram || 5 ||

Gunja Madhura Mala Madhura
Yamuna Madhura Vici Madhura
Salilam Madhuram Kamalam Madhuram
Madhur-Adipater Akhilam Madhuram || 6 ||

Gopi Madhura Lila Madhura
Yuktam Madhuram Muktam Madhuram
Dhristam Madhuram Shistam Madhuram
Madhur-Adipater Akhilam Madhuram || 7 ||

Gopa Madhura Gavo Madhura
Yastir Madhura Shristhir Madhura
Dalitam Madhuram Phalitam Madhuram
Madhur-Adipater Akhilam Madhuram || 8 ||

|| Iti Srimad Vallabha-Acarya Viracitam Madhurastakam Sampurnam ||

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मधुराष्टकम् : अधरं मधुरं वदनं मधुरं के लाभ – Benefits of Madhurashtakam

मधुराष्टकम् : अधरं मधुरं वदनं मधुरं संस्कृत में एक भक्ति रचना है जिसका श्रेय 16वीं शताब्दी के संत-कवि वल्लभाचार्य को दिया जाता है। इसमें आठ छंद हैं जो भगवान कृष्ण की मिठास और दिव्य गुणों की महिमा करते हैं। मधुराष्टकम का पाठ करने या उस पर विचार करने से जुड़े कुछ संभावित लाभ इस प्रकार हैं:

भक्ति संबंध: मधुराष्टकम् : अधरं मधुरं वदनं मधुरं भगवान कृष्ण के साथ भक्ति और संबंध की गहरी भावना को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह प्रेम, आराधना और परमात्मा के प्रति समर्पण की भावना का आह्वान करता है।

आध्यात्मिक उत्थान: मधुराष्टकम का पाठ करना या सुनना किसी की आत्मा का उत्थान कर सकता है और उनकी चेतना को उन्नत कर सकता है। यह सांसारिकता को पार करने और दिव्य क्षेत्र से जुड़ने के साधन के रूप में कार्य करता है।

आंतरिक खुशी और आनंद: मधुराष्टकम् : अधरं मधुरं वदनं मधुरं के छंद भगवान कृष्ण के दिव्य गुणों को व्यक्त करते हैं, जैसे उनकी मिठास, आकर्षण और चंचलता। इन गुणों पर ध्यान देने से आंतरिक खुशी, आनंद और खुशी की भावना पैदा हो सकती है।

मन की शुद्धि: मधुराष्टकम का पाठ मन को शुद्ध करने और नकारात्मक विचारों और भावनाओं को खत्म करने में मदद कर सकता है। यह शुद्धता, स्पष्टता और सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए एक आध्यात्मिक अभ्यास के रूप में कार्य करता है।

सदाचारी जीवन जीने की प्रेरणा: मधुराष्टकम् : अधरं मधुरं वदनं मधुरं भगवान कृष्ण के दिव्य गुणों पर प्रकाश डालता है। इन गुणों पर चिंतन करने से व्यक्तियों को अपने जीवन में प्रेम, करुणा, विनम्रता और धार्मिकता जैसे समान गुणों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

सांस्कृतिक और कलात्मक प्रशंसा: मधुराष्टकम न केवल एक भक्ति रचना है बल्कि एक साहित्यिक और संगीतमय कृति भी है। इसकी जटिल कविता और मधुर प्रतिपादन भारतीय संस्कृति और भक्ति कलाओं की समृद्धि के लिए सौंदर्य आनंद और प्रशंसा प्रदान करता है।

समस्या निवारण: मधुराष्टकम को समस्या निवारण में भी कारगर बताया गया है। यदि आप अपने जीवन में किसी चुनौती का सामना कर रहे हैं, तो स्तोत्र का पाठ करने से आपको उनसे बाहर निकलने में मदद मिल सकती है।

मधुराष्टकम के पाठ या चिंतन को ईमानदारी, श्रद्धा और शुद्ध हृदय के साथ करना महत्वपूर्ण है। इस भक्ति रचना का सच्चा लाभ व्यक्तिगत संबंध, विश्वास और भक्ति में निहित है।

मधुराष्टकम् : अधरं मधुरं वदनं मधुरं लिरिक्स रोज़ सुनने से दिन के हर काम पुरे होंगे और शांति मिलेगी

मधुराष्टकम् भगवान कृष्ण की मधुरता और दिव्य गुणों की महिमा को गाता है। यह गीत गोस्वामी वल्लभाचार्य द्वारा संग्रहित है और इसके आठ छंदों में भगवान कृष्ण की मधुरता, आकर्षण, गोपियों के प्रेम, राधा के साथ खेलने की खुशी और अनन्य भक्ति की महिमा का वर्णन किया गया है।

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FAQs For Madhurashtakam Adharam Madhuram

मधुराष्टकम् पढ़ने से क्या लाभ होता है?

श्री मधुराष्टकम् पढ़ने से मन को शांति मिलती हे और प्रभु से निकटता बढ़ती हे

मधुराष्टकम् के रचयिता कौन हे ?

(Madhurashtakam) मधुराष्टकम् की रचना श्री वल्लभाचार्य जी ने 1478 ई. में की थी

मधुराष्टकम् का पाठ कब और कैसे करे ?

इस मन्त्र का जाप किसी भी समय पर कर सकते हे किन्तु ब्रह्म मुर्हूर्त में करना लाभदायक माना जाता हे |
स्वच्छ व शान्त स्थान पर मधुराष्टकम् मंत्र का जाप करें। मंत्र का उच्चारण धीरे-धीरे और पूरी श्रद्धा के साथ करें। मंत्र के अर्थ पर ध्यान केंद्रित करे

निष्कर्ष :

दोस्तो अगर आपको “Madhurashtakam Adharam Madhuram Lyrics” लिरिक्स वाला यह आर्टिकल पसंद है तो कृपया इसे अपने दोस्तों को सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूलें। आपका एक शेयर हमें आपके लिए नए गाने के बोल लाने के लिए प्रेरित करता है

हमें उम्मीद है की श्रीकृष्ण के भक्तो को यह मधुराष्टकम् : अधरं मधुरं वदनं मधुरं लिरिक्स वाला आर्टिकल बहुत पसंद आया होगा।

अगर आप अपने किसी पसंदीदा गाने के बोल चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें बेझिझक बताएं हम आपकी ख्वाइस पूरी करने की कोशिष करेंगे
धन्यवाद!🙏 जय श्री कृष्ण 🙏

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