Home धर्म संसार श्रीराम अवतार – Lord Vishnu Shree Ram Avtar Story

श्रीराम अवतार – Lord Vishnu Shree Ram Avtar Story

मर्यादा पुरुषोत्तमराम श्रीराम अवतार की कथा के बारे में कौन नहीं जानता? दोस्तों क्या आप श्रीराम अवतार से जुड़ी कथा के बारेमे जानना चाहते हे ? तो आपसे अनुरोध है की कुछ समय दे कर पुरे लेख को अच्छी तरह से पढ़े ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके।

इस साल रामनवमी का पर्व 30 मार्च 2023, गुरुवार को मनाया जाएगा. चैत्र नवरात्रि शुक्‍ल पक्ष की तिथि 22 मार्च 2023 से शुरू होंगी और 30 मार्च को रामनवमी के दिन समाप्‍त होंगी.

राम नवमी 2023 तारीख शुभ मुर्हूत – Ram Navami 2023 Date and Time:

राम नवमी 2023 तारीख :30 मार्च 2023, गुरुवार
राम नवमी तिथि प्रारंभ :नवमी तिथि 29 मार्च 2023 को रात 09 बजकर 07 मिनट पर आरंभ हो रही है
राम नवमी तिथि समाप्त :नवमी तिथि की समाप्ति 30 मार्च 2023 को रात 11 बजकर 30 मिनट पर होगी
राम नवमी मध्याह्न मुहूर्त :सुबह 11:17AM – दोपहर 01:46PM

श्रीराम अवतार – सातवें अवतार में भगवान राम का जन्म जिन्होंने रावण का किया था

हम सब जानते हैं कि भगवान विष्णु का सातवाँ अवतार श्री राम हे | उनको श्री राम और श्री रामचंद्र के नाम से भी जाना जाता हे| जिन्होंने राक्षसराज रावण का वध किया था | Ram Avtar Katha: पौराणिक कथा अनुसार भगवान विष्णु के राम अवतार की है रोचक कथा क्यों धरती पर लिया था जन्म?

श्रीराम का जीवन परिचय :

नामश्रीराम चंद्र भगवान 
निवासस्थानअयोध्या
जन्म तिथिचैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि, त्रेता युग
मातामाता कोशल्या
पिता महाराजा दशरथ जी 
अस्त्रधनुष बाण ( कोदण्ड धनुष )
भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुध्न
जीवनसाथीमाता सीता जी 
संतानलव, कुश 
त्यौहारराम नवमी, दीपावली, दशहरा

त्रेता युग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा चक्रवर्ती सम्राट दशरथ नाम के प्रतापी राजा हुए | उनको तीन रानियाँ थी| तीन तीन रानियाँ होने के अलावा भी राजा दशरथ को कोई भी पुत्र नहीं था | दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रयेष्टि यज्ञ करवाया जिसके फल स्वरुप राजा दशरथ को चार पुत्र की प्राप्ति हुयी | जिनमे सबसे बड़े पुत्र का नाम राम दूसरे पुत्र का नाम भरत तीसरे पुत्र का नाम लक्ष्मण और चौथे पुत्र का नाम शत्रुघ्न था | 

प्रभु श्रीराम की शिक्षा

राम सबसे बड़े थे | चारो भाई ओ ने कुल गुरु वशिष्ठ से शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा प्राप्त की | एक दिन ऋषि विश्वामित्र राक्षसों के आतंक से पीड़ित होकर राज दशरथ के पास गये और उनसे राम और लक्ष्मण को साथ लेजाने की इच्छा उनके सामने रखी| राजा दशरथ ने उसी समय राम और लक्ष्मण को वहाँ पे बुलाया और उनको ऋषि विश्वामित्र के साथ जाने को कहा | दोनों भाई पिताजी की आज्ञा का पलना करे ने के लिए ऋषि विश्वामित्र के साथ चले गए | 

राम और लक्ष्मण दोनों भाई ओ ने मिलकर तपोवन के सभी राक्षस को मार कर तपोवन को राक्षस मुक्त कर दिया | जिसे ऋषियों की पूजा तपस्या पहले की तरह चलने लगी उसके बाद ऋषि विश्वामित्र को राजा जनक की पुत्री सीता के स्वयंवर का आमंत्रण मिला | ऋषि विश्वामित्र ने सीता के स्वयंवर में राम और लक्ष्मण को भी साथ में ले गये |

सीता से विवाह :

राजा जनक ने सीता के स्वयंवर में होने वाली प्रतियोगिता के बारे मे सबको बताते हुए कहा की “कोई भी राजा शिव धनुष को उठा कर तोड़ देगा उससे सीता का विवाह होगा |” यह सुनकर सभी राजा एक के बाद एक शिव जी के धनुष को उठाने आये लेकिन किसी भी राजा से शिव जी का धनुष नहीं हिला | राजा जनक यह देख कर चिंतित हो गये | उसी समय ऋषि विश्वामित्र के आदेश मिलते ही श्री राम ने उनको प्रणाम करके शिव जी के धनुष उठाने चले गए | श्री राम ने धनुष को उठाया का तोड़ दिया और सीता के साथ उनका विवाह हो गया| 

शिव जी के धनुष तूट ने का संदेश जब परशुराम जी को मिला तब वे क्रोधित होकर वहाँ पहुँचे लेकिन जब उन्होंने श्री राम को देखा तब परशुराम जी को भगवान विष्णु के दर्शन हुए और उनका क्रोध शांत हो गया | इसके बाद अयोध्या नरेश दशरथ को निमंत्रण मिला और उनके चारों पुत्रों का विवाह जनक राजा की पुत्रीओ से हुआ | विवाह के बाद राजा दशरथ ने राम को राजा बनाने का निर्णय लिया | लेकिन मंथरा जोकि कैकेयी की दासी थी उसने कैकेयी के मन में राम के प्रति विष भर दिया | 

वनवास

कैकेयी ने दशरथ राजा से विवाह के समय दिए गए वचन को निभाने को कहा इसमें पहला वचन राम राजा ना बने उसके बदले भरत को राजा बनाया जाए और दूसरा वचन राम को चौदह वर्ष का वनवास देने की मांग  की | अपने पिताजी के वचन के लिए श्री राम वन में जाने के लिए तैयार हो गये | माता सीता और लक्ष्मण भी श्री राम के साथ जाने के लिए तैयार हो गए| जब श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण वन के लिए निकल गए उसके बाद राजा दशरथ ने पुत्र के वियोग में प्राण त्याग दिए | 

जब ये घटना गति तब भरत और शत्रुघ्न अयोध्या से बहार थे | लेकिन जब उनको श्री राम और उनके पिता के बारे मे पता चला तब वे तुरंत ही अयोध्या वापस आ गये| भरत राजा दशरथ का अंतिम संस्कार करके बड़े भाई और भाभी को वापस लाने के लिए चित्रकूट गए |

भगवान विष्णु के दशावतार की कहानी यहाँ पर मिलेगी

श्रीराम भरत मिलाप

बड़े भाई श्रीराम से मिलकर भरत ने उन्हें वापस अयोध्या लौट आने के लिए कहा | लेकिन पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए श्री राम ने अयोध्या जाने से मना कर दिया | तब भरत ने उनके साथ रहेने का निर्णय लिया | लेकिन श्री राम को प्रजा की और राज्य की चिन्ता थी इसलिए उन्होंने भरत को वापस अयोध्या जाने का आदेश दिया | श्री राम का यह आदेश सुनकर भरत ने वापस अयोध्या जाने का मन बना लिया लेकिन भरत ने राजा नहीं बनेका निर्णय लिया | 

भरत श्री राम की चरण पादुका को लेकर वहां से चले गये | और श्री राम की चरण पादुका को रखकर राज्य को श्री राम के वापस आने तक संभाल ने का निर्णय लिया | भगवान श्री राम ने महर्षि अत्रि और सती अनसूया के दर्शन करके चित्रकूट से प्रस्थान किया | आगे मार्ग में विराध नामक एक राक्षस का वध भी किया | श्रीराम ने भरद्वाज, सरभंग, सुतीक्ष्ण, अगस्त्य आदि ऋषियों का दर्शन भि किया था | चित्रकूट से जाने के बाद उन्होंने दंडकारण्य में छोटी सी कुटिया बनाकर वनवास का समय व्यतीत किया था |

उस समय वन में शूर्पणखा जो कि रावण की बहन थी उसने वन मे श्री राम को देखा और उस पर मोहित हो गयी थी|  शूर्पणखा ने अपना रूप बदलकर श्री राम के पास पहुंची और उनको अपने साथ रहने का निवेदन करने लगी लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने उसे मना कर दिया उन्होंने शूर्पणखा को कहा की  “मैने सीता को अपनी पत्नी माना हे में उसके अलावा अन्य कोई स्त्री को नहीं देखता” यह सुनकर शूर्पणखा माता सीता की और उनको मारने के लिए बढ़ रही थी तब लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक को काटके वहा से भगा दिया था |

माता सीता का हरण

शूर्पणखा ने श्री राम और लक्ष्मण से बदला लेने के लिए खर और दूषण को साथ लेकर गयी लेकिन भगवान श्री राम के आगे वो नहीं टिक पाएँ और उन दोनो का वध हो गया था | यह सब होने के बाद शूर्पणखा रावण के पास गयी और उसने अपनी व्यथा सुनाई | जब रावण को इस बारे में पता चला तब उसने मारीच के साथ माँ सीता का अपहरण करने का सोचा| रावण ने मारीच को एक सुंदर हिरण बनने को कहा | मारीच के पास अपना रूप और आवाज बदलने की शक्तियां थी | रावण के कहने पर मारीच हिरण बन कर माँ सीता के पास गया | जब माँ सीता ने सुंदर हिरण को देखा तब उन्होंने श्री राम से उसे पकड़ लाने को कहा | श्री राम ने सीता के कहने पर उस हिरण को पकड़ ने के लिए चले गए |

जब श्री राम ने हिरण को तीर मारा तब हिरण के वेश में आये मारीच ने श्री राम की आवाज निकाल कर लक्ष्मण को सहायता करने के लिए बुलाने लगा | यह सुनकर माँ सीता चिंतित हो गयी और लक्ष्मण को श्री राम की सहायता करने के लिए भेजा तब लक्ष्मण ने अपने तीर से लक्ष्मण रेखा का निर्माण किया और माँ सीता को लक्ष्मण रेखा के अंदर रहने को कहा और वहां से श्री राम की और चले गए | दूसरी ओर रावण लक्ष्मण के जाने के बाद ऋषि मुनि बनकर माँ सीता के पास गए और उनको भिक्षा देने के लिए बाहर बुलाकर उनका अपहरण किया था | जब राम और लक्ष्मण वापस आए तब वह पर माँ सीता नहीं थी उन्होंने चारो और देखा लेकिन उनको माँ सीता का कहीं भी पता ना चला |

राम रावण का युद्ध

श्री राम और लक्ष्मण को आगे वन में गिद्धराज जटायु मूर्छित अवस्था में मिले जो रावण से माँ सीता को बचाते हुए घायल हो गये थे| गिद्धराज जटायु ने श्री राम को रावण के बारे मे बताया |और गिद्धराज जटायु ने श्री राम के गोद में अपने प्राण त्याग दिए थे | गिद्धराज जटायु का विधिपूर्वक अंतिम संस्कार किया | उसके बाद वो दोनों सबरी के आश्रम में गए वहां सबरी ने उनको एक एक बेर चखकर खिलाएं और वहां से उनको वानर नगरी के बारे में पता चला जहां पर उन को हनुमान मिले | हनुमानजी और श्रीराम मिलन के बाद हनुमानजी उन्हें सुग्रीव के पास ले गए और उनसे मित्रता करवाई | श्री राम ने उनसे मित्रता करके सुग्रीव के भाई बाली का वध करके उन को फिर से उनका राज्य वापस लौटाया | 

सुग्रीव को राज्य मिलने के बाद सभी महारथी को चारों दिशाओं में सीता माँ को ढूंढने के लिए भेजा | कुछ समय के बाद तीन दिशाओं में किसी को सीता माँ पता नहीं चला लेकिन हनुमान जी को गिद्धराज जटायु के भाई संपाती से सीता माँ का पता चला उसके बाद हनुमान जी ने समुद्र के सभी कठिनाइयों को पार करके वे माता सीता से मिले और उनको श्री राम की निशानी देकर रावण की लंका को जलाकर वहां से वापस श्री राम के पास आये और प्रभु श्रीराम को माँ सीता के बारे में बताया | 

माता सीता का पता चलते ही भालू और वानरों की सेना के साथ समुद्र में सेतु बनाकर लंका पहुंचे | रावण का भाई विभीषण जो श्री राम का भक्त था उसे रावण का साथ ना देकर श्री राम का साथ दिया |

रावण वध

राम और रावण के युद्ध में रावण ने अपने भाई कुंभकरण, पुत्र इन्द्रजीत और समस्त राक्षसी सेना को खोदिया | राम और रावण के अंतिम युद्ध में जब विभीषण ने श्री राम को रावण की अमरता का राज़ बताया तब रावण की मृत्यु हुयी थी | 

रावण की मृत्यु के बाद श्री राम ने विभीषण को लंका का राजा बनाया | विभीषण राजा बनते ही उन्होंने माँ सीता को मुक्त कर दिया | उसके बाद श्री राम माँ सीता और लक्ष्मण के साथ पुष्पक विमान से अयोध्या वापस लौट गए और अयोध्या के सिंहासन को संभाला | 

1Lord Vishnu Matsya avtar Storyभगवान विष्णु का प्रथम अवतारमत्स्य अवतार
2Lord Vishnu Kurma avatar Storyभगवान विष्णु का द्वितीय अवतारकूर्म अवतार
3Lord Vishnu Varah avatar katha भगवान विष्णु का तृतीय अवतारवराह अवतार
4Lord Vishnu Narasimha avatar Storyभगवान विष्णु का चौथा अवतारनरसिंह अवतार
5Lord Vishnu Vaman Avtar Storyभगवान विष्णु का पाँचवाँ अवतारवामन अवतार
6Lord Vishnu Parshuram avtar Storyभगवान विष्णु का छठा अवतारपरशुराम अवतार
7Lord Vishnu Shree Ram avtar Storyभगवान विष्णु का सातवाँ अवतारश्रीराम अवतार
8Lord Vishnu Shree Krishna avatar Storyभगवान विष्णु का आठवाँ अवतारश्री कृष्ण अवतार
9Lord Vishnu Budhdha avatar Storyभगवान विष्णु का नोवाँ अवतारबुद्ध अवतार

FAQ For Shree Ram

साल 2023 में राम नवमी कब है?

30 मार्च 2023 को राम नवमी का त्योहार मनाया जाएगा

प्रभु श्रीराम किसके अवतार थे ?

भगवान राम को भगवान विष्णु के 10 अवतारों में 7वां अवतार माना जाता है।

श्रीराम के पिता का नाम क्या था?

श्रीराम के पिता का नाम दसरथ था

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी कितने भाई थे?

मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम के 3 भाई थे
1. भरत जी
2. लक्ष्मण जी और
3.शत्रुघन जी

भगवान श्रीराम का जन्म कहाँ हुआ था?

भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था

चैत्र नवरात्रि कब हे ?

चैत्र नवरात्रि शुक्‍ल पक्ष की तिथि 22 मार्च 2023 से शुरू होंगी और 30 मार्च को रामनवमी के दिन समाप्‍त होंगी.

श्रीराम की माता का नाम क्या था?

श्रीराम की माता का नाम कौशल्या था

निष्कर्ष :

दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि “श्रीराम अवतार की कथा” का यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके | आपका एक शेयर हमें आपके लिए नए आर्टिकल लाने के लिए प्रेरित करता है |

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