Home धर्म संसार कर्ण अर्जुन संवाद | Mahabharat Kahani Karna Ki | कर्ण पर कविता

कर्ण अर्जुन संवाद | Mahabharat Kahani Karna Ki | कर्ण पर कविता

Mahabharat Karna Poem

Mahabharat Kahani Karna Ki -कहानी कर्ण की–इस कविता में महाभारत के वीर दानवीर योद्धा कर्ण की कहानी को बताया गया है इस कविता को लिखा एवं प्रस्तुत श्री रामधारी सिंह दिनकर जी की अद्वितीय रचना | यह कविता कर्ण के शौर्य, पराक्रम, मित्र धर्म, दानवीरता आदि गुणों को बड़ी सुन्दरता से प्रस्तुत किया गया है. इन्हें जरूर पढ़े.

कर्ण का संक्षिप्त परिचय

नाम :कर्ण, वासुसेन, अंगराज कर्ण, सूर्यपुत्र कर्ण,दानवीर कर्ण, राधेय
माता – पिता : जिन्होंने जन्म दिया कुंती और भगवान सूर्य 
माता – पिता : जिन्होंने पालन पोषण किया अधिरथ और उनकी पत्नी राधा
गुरु :भगवान परशुराम
शासक :अंग देश के राजा
जीवनसाथी :वृशाली
संतान :वृषकेतु
शैली :कविता

कर्ण पर कविता – Mahabharat Kahani Karna Ki

ज्ञात था मिटना समर में
फिर भी धनुष लिए सज्जित हुआ
मित्र ना हो क्षीण रण में
थामे कमान राधेय चला

जैसे पग बड़े रण की ओर
पुकार सुनी करुणा से विभोर
जो कभी मातृत्व न दे पाई थी
आज निज सुत को लेने आयी थी

आजाओ पछ तुम पांडवों के
कौन्तेय दूंगी पहचान नयी
कुल में श्रेष्ठ बन जाओगे
तुम पांडवो में ज्येष्ठ कहलाओगे

भर गया मन जब ये सुनकर
पर पाषाण हृदय कर वह बोला
जो छोड़ चली थी दुधमुँहे को
कैसे जागा आज सुत प्रेम उसका

क्षमा करो हे राज माता
अब मित्र मुझसे ना छूटेगा
कौन्तेय तो मैं कभी हुआ ही नही
अब अधिकार है मुझ पर राधे का

आयी हो द्वार बन याची तुम
तो खाली हाथ न जाओगी
वचन रहा ये मेरा तुमको
जीवित,पांच पुत्रों को पाओगी

जब उतरा युद्ध समर में वो
नर संघार है ऐसा घोर मचा
रंग गयी लाल, भूमि रक्त में
कुरु भूमि में जैसे स्वयं काल खड़ा

आखिर धसा रथ चक्र भूमि में
मस्तिष्क में ऐसी विस्मृति छायी
याद रहा ना शस्त्र ज्ञानB
जीवन पर जब विपदा आयी

याद आ रहा गुरु श्राप अब
जो आज सत्य ही हो रहा
हँस जान कर यही नियति मेरी
रथ चक्र निकालने राधेय चला

यही समय है यही अवसर
माधव ने पार्थ से कहा
भूल जा धर्म अधर्म की बाते
ना हो जाये काल फिर से खड़ा

फिर चला गांडीव बज्र बनकर
वो छाती पर रक्त की धार लिए
सूर्य अस्त हो गया हो जैसे
आंखों मैं करुण रक्त लालिमा लिए

गगन में छा गयी नीरसता है
हुआ क्षीण सूर्य का तेज भी
जब जा रहा निज तन छोर
आज दानवीर देकर प्राण भी

छोड़ परशु की विद्या
वो राम यश लिए जा रहा
आरम्भ से जो अपराजित था
आज प्रारब्ध से वो हार रहा

लज्जित है देवराज स्वयं पर
केशव के अश्रु भी झलक रहे
शब्द यही निकलें हैं मुख से
चिरकाल तक हम दोषी रहे

ज्ञात तुझे था, अंत स्वयम का
फिर भी अडिग तू मित्रधर्म पर
हे सूर्यपुत्र, हे महादानी
तुझसा वीर नहीं इस धरा पर

शब्द सुने ,जब पार्थ ने
व्यथित सा कुछ हो गया
माधव ये मुझको बतलाओ
मुझसे बड़ा वो कैसे हो गया

तीन पग पीछे रथ हटने पर अपना
तुम उसकी प्रशंसा कर जाते थे
मैं दस पग पीछे करता रथ उसका
ये क्यों विस्मृत कर जाते थे

मेरे गांडीव में बल नही
क्या ये कहना तुम चाहते हो?
या है बड़ा वो धनुर्धर मुझसे
ये सिद्ध करना तुम चाहते हो?

भरे कंठ से तब बोले माधव
अर्जुन तू मुझसे अनजान नही
रथ साध रहा तेरा परम ब्रह्म
जिसका पार किसी के पास नहीं

ये युद्ध तो तूने लड़ा ही नहीं
उसका हर वार तो मैंने काटा था
पर हर बाण को क्षीण करने पर भी
पर तेरा रथ हिल जाता था

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जिस रथ को साध रहा था मैं
अनगिनत सृष्टियो का भार लिए
उस रथ का तीन पग हटना क्या
वो रथ हिलना ही मुश्किल था

पर हिला रहा, जो रथ तेरा
अपने हर बाणों के प्रहारों से
नत मस्तक हैं आज देवगण
उसकी शौर्य भरी ललकारों से

न हुआ है ऐसा दानवीर
ना जन्मेगा उससा मित्र दूजा
जो समर में जीवन दान दे
वही है होता रणवीर सच्चा

प्रकटा था कर्ण सूर्य अंश से
आज सूर्य मैं ही मिलने जा रहा
उस पराक्रमी उस दानवीर के
इसलिये मैं गुणगान गा रहा

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Mahabharat Karna Dialogue – कर्ण पर कविता

YouTube Video: Mahabharat Kahani Karna Ki

इस कविता पर रश्मिरथी का सापेक्ष प्रभाव दिखता है, और यही कारण इस कविता में मौलिकता के अभाव को दर्शाता है। ऐसा महा वीर बलिदानी दानवीर कोई दूसरा नहीं हो सकता जैसा की कर्ण थे इस दुनिया में कोई मित्रता निभाने बाला अब नहीं जन्म ले सकता | अर्जुन को कौन हरा सकता है जिसके संग स्वयं भगवान है, यह सब जानकर भी जो युद्ध करे वो सूर्यपुत्र कर्ण महान है.🙏

FAQ For Mahabharat Karna :

सूर्यपुत्र कर्ण किसके पुत्र थे

कर्ण की माता का नाम कुंती और पिता भगवान सूर्य जिन्होंने जन्म दिया और अधिरथ और उनकी पत्नी राधा ने पालन पोषण किया

सूर्यपुत्र कर्ण के पुत्र का नाम क्या था ?

कर्ण के पुत्र का नाम वृषकेतु था

कर्ण के गुरु नाम क्या था ?

दानवीर कर्ण के गुरु का नाम भगवान परशुराम था

दानवीर कर्ण किस देस के राजा थे ?

कर्ण अंग देश के राजा थे

महाभारत युद्ध में कर्ण का वध किसने किया था ?

महाभारत युद्ध में अर्जुन ने कर्ण का वध किया था

निष्कर्ष

दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि “Mahabharat Kahani Karna Ki” वाला यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके | आपका एक शेयर हमें आपके लिए नए आर्टिकल लाने के लिए प्रेरित करता है | ऐसी ही कहानी के बारेमे जानने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे
धन्यवाद ! 🙏

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