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भगवान विष्णु की वामन अवतार कथा | Lord Vishnu Vaman Avtar

दोस्तों क्या आप वामन अवतार से जुड़ी कथा के बारेमे जानना चाहते हे ? क्या आप भगवान विष्णु के अवतार भगवान् वामन के बारेमे जानना चाहते हे? तो आपसे अनुरोध है की कुछ समय दे कर पुरे लेख को अच्छी तरह से पढ़े ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके।

1Lord Vishnu Matsya avtar Storyभगवान विष्णु का प्रथम अवतारमत्स्य अवतार
2Lord Vishnu Kurma avatar Storyभगवान विष्णु का द्वितीय अवतारकूर्म अवतार
3Lord Vishnu Varah avatar kathaभगवान विष्णु का तृतीय अवतारवराह अवतार
4Lord Vishnu Narasimha avatar Storyभगवान विष्णु का चौथा अवतारनरसिंह अवतार
5Lord Vishnu Vaman Avtar Storyभगवान विष्णु का पाँचवाँ अवतारवामन अवतार
6Lord Vishnu Parshuram avtar Storyभगवान विष्णु का छठा अवतारपरशुराम अवतार
7Lord Vishnu Shree Ram avtar Storyभगवान विष्णु का सातवाँ अवतारश्रीराम अवतार
8Lord Vishnu Shree Krishna avatar Storyभगवान विष्णु का आठवाँ अवतारश्री कृष्ण अवतार
9Lord Vishnu Budhdha avatar Storyभगवान विष्णु का नोवाँ अवतारबुद्ध अवतार

भगवान विष्णु की वामन अवतार कथा | VAMAN AAVTAR | वामनावतार

 दैत्यों ने देवताओं को हरा कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया | यह देख कर देवता की माँ अदिति ने भगवान विष्णु की कठिन तपस्या की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया | समय आने पर वामन अवतार धारण कर भगवान विष्णु ने महर्षि कश्यप और अदिति के पुत्र के रूप में जन्म लिया|

महर्षि कश्यप ने उनका जातकर्म संस्कार किया| ब्रह्मऋषि ने वामन भगवान को उपनयन संस्कार किया |महर्षि पुलह ने वामन बटुक को यज्ञोपवीत, पुलस्त्य ने दो श्वेत वस्त्र, अगस्त ने मृगचर्म, भारद्वाज ने मेखला,मरीचि ने पलाश दंड, वशिष्ठ ने अक्ष सूत्र, अंगिरा ने कुश का बना हुआ बस्तर, सूर्य ने क्षेत्र, भृगु ने खड़ाऊ और देव गुरु बृहस्पति ने कमण्डलु का प्रदान कर आशीर्वाद दिया| एक ही महीने में भगवान वामन ने वेदों और शास्त्रों का अध्ययन करके महारत हासिल की, जिसमें स्वर्गदूत भी शामिल थे| 

सबसे बड़ा दानी – बलि राजा

राजा बलि को दान वीर होने पे घमंड आ गया था |एक बार राजा बलि ने तीनो लोक को पाने के लिए अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे |तब वामन भगवान वह यज्ञ साला में पहुंच गए और उन्होंने राजा बलि से तीन पग भीम का दान मांगा |राजा बलि ने उनको तीन पग भीम का दान देने का वचन दे दिया |बटुक ब्राह्मण रूप मे आये वामन भगवान ने देख तेहि देखते आपने पहले कदम से पृथ्वी , दूसरे कदम से देव लोग को नाप लिया जब बलि ने यह देखा तो उनको कुछ समझ में नही आ रहा था जब बटुक ब्राह्मण को तीसरा कदम रखने के भूमि नहीं थी तब वचन से बनथे बलि ने अपना सिर प्रस्तुत कर दिया | बलि के वचन बढ़ता को देख वामन भगवान ने उसे सुतल में भेज देते हे|और वह का राजा बना देते हे | उसके साथ साथ उसे अमर होने का वरदान भी देते हे| 

भगवान विष्णु के दशावतार की कहानी यहाँ पर मिलेगी

निष्कर्ष
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