दोस्तों क्या आप नरसिंह अवतार से जुड़ी कथा के बारेमे जानना चाहते हे ? क्या आप भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह अवतार के बारेमे जानना चाहते हे? तो आपसे अनुरोध है की कुछ समय दे कर पुरे लेख को अच्छी तरह से पढ़े ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके।
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2 | Lord Vishnu Kurma avatar Story | भगवान विष्णु का द्वितीय अवतार | कूर्म अवतार |
3 | Lord Vishnu Varah avatar katha | भगवान विष्णु का तृतीय अवतार | वराह अवतार |
4 | Lord Vishnu Narasimha avatar Story | भगवान विष्णु का चौथा अवतार | नरसिंह अवतार |
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9 | Lord Vishnu Budhdha avatar Story | भगवान विष्णु का नोवाँ अवतार | बुद्ध अवतार |
भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की कथा – Narasimha Avatar Story
नरसिंह अवतार भगवान विष्णु का चौथा मना गया हे| नरसिंह अवतार भगवान विष्णु ने आपने भक्त प्रहलाद उसके पिता से और तीनो लोक को हिरण्यकश्यप से बचाने के लिए लिया था|
यह कहानी हिरण्याक्ष के मृत्यु के बाद की हे | हिरण्यकश्यप को जब पता चला की उसके भाई को भगवान विष्णु के वरह अवतार ने मृत्यु दंड दिया तब वे बहुत क्रोधित हो गया और उसे भगवान विष्णु के नाम से ग्रीणा होने लगी| हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु से बदला लेने के लिए ब्रह्मा जी की गौर तपस्या कर ने के लिए चला गया |और दूसरी तरफ उसकी पत्नी जोकि गर्भवती थी उसने एक पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम प्रहलाद रखा |इस बात से अनजान हिरण्यकश्यप ब्रह्मा जी की गौर तपस्या में लग रहा |
ब्रह्मा ने हिरण्यकश्यप की तपस्या से प्रसन होकर ब्रह्मा जी उसके पास गए और उसको एक वरदान मांगने कोप कहा | हिरण्यकश्यप ने उनसे अमर होने गा वरदान मांगा |लेकिन ब्रह्मा जी ने उसे वरदान देने से मना कर दिया और उसे दूसरा कोय वरदान मांगने को कहा |
हिरण्यकश्यप ने फिर ब्रह्मा जी से उसे कोय ना मार पाये फिर वो कोय मानव हो या कोय देवी देवता ना कोय असुर ना कोय राक्षस ना पशु ना पक्षी और नहीं कोय जानवर ना दिन में ना रात में नाही भीतर नाहीं बहार और किसी भी अस्त्र या शस्त्र से मुजे कोय ना मारपाये ऐसे वरदान मांगा |
वरदान पाते ही हिरण्यकश्यप ने तीनो लोक पर अपना अधिकार जमा दिया | उसने सभी विष्णु भक्तो को मार दिया|और तीनो लोक उसने घोषणा करदी की “कोई भी विष्णु की पूजा नहीं करेगा सभ मेरी यानि हिरण्यकश्यप की पूजा करेंगे और अगर किसी ने भी विष्णु का नाम लिया या उसकी पूजा की उसे मृत्यु दंड दिया जायेगा |
लेकिन वह नहीं जानता था कि उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का सबसे बड़ा भक्त था।लेकिन जब उसे पता चला की प्रहलाद विष्णु का भक्त हे तब उसने पहले प्रेम समझाया लेकिन प्रहलाद ने भगवान विष्णु की भक्ति करना नहीं छोरा इसके चलते हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने का कही सरे प्रयास किये हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को पर्वत पैसे निचे फेकडिया फिर भी वो बच गया उसके बाद प्रहलाद को ज़हरीले सांपों के बीच में डाल दिया लेकिन उसने भगवान विष्णु का जाप करता रहा और उसे सांपों ने कुछ नहीं किया| हिरण्यकश्यप को जब ये पता चला तब उसने उसकी बहन हिलोका को बुलाया उसे ब्रह्मा के पास से वरदान मिल था की उसे अग्नि(आग) से कूचनही होगा|
होलिका प्रहलाद को अपनी गोद मे लेकर धधकती हुई अग्नि में बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु के चमत्कार से होलिका जल कर भस्म हो गयी लेकिन प्रहलाद को कुछ नहीं हुवा |यह देखकर हिरण्यकश्यप अपनी तलवार उठाकर प्रहलाद को मरने आता है तब एक खम्भे मे से भगवान विष्णु नरसिंह अवतार प्रकट होते हे|और हिरण्यकश्यप को शाम के समय महटके द्वार पर अपनी जागो पर गिराकर अपने नाखुनो से हिरण्यकश्यप का वध करते है
भगवान विष्णु के दशावतार की कहानी यहाँ पर मिलेगी
निष्कर्ष
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