दोस्तों क्या आप “महादेव का 11 अवतार यतिनाथ” अवतार के बारेमे जानना चाहते हे ? क्या आप भगवन शिव के अवतार के बारेमे जानना चाहते हे? तो आप सही आर्टिकल पढ़ रहे हो । आपसे अनुरोध है की कुछ समय दे कर पुरे लेख को अच्छी तरह से पढ़े ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके।
1 | Veerabhadra Avatar of Lord Shiva | महादेव का प्रथम वीरभद्र अवतार |
2 | Piplaad Avatar of Lord Shiva | महादेव का द्वितीय पिप्पलाद अवतार |
3 | Nandi Avatar of Lord Shiva | महादेव का तृतीय नंदी अवतार |
4 | Bhairava Avatar of Lord Shiva | महादेव का चौथा भैरव अवतार |
5 | Ashwatthama Avatar of Lord Shiva | महादेव का पाँचवाँ अश्वत्थामा अवतार |
6 | Sharabha Avatar of Lord Shiva | महादेव का छठा शरभावतार |
7 | Grihapati avatar of Lord Shiva | महादेव का सातवाँ गृहपति अवतार |
8 | Durvasa avatar of Lord Shiva | महादेव का आठवाँ ऋषि दुर्वासा |
9 | Hanuman Avatar of Lord Shiva | महादेव का नोवाँ हनुमान अवतार |
10 | Rishabha Avatar of Lord Shiva | महादेव का दसवाँ हनुमान अवतार |
11 | Yatinath Avatar of Lord Shiva | महादेव का ग्यारहवाँ यतिनाथ अवतार |
12 | Krishna Darshan Avatar of Lord Shiva | महादेव का बारहवाँ कृष्णदर्शन अवतार |
13 | Avadhut Avatar of Lord Shiva | महादेव का तेरहवाँ अवधूत अवतार |
14 | Bhikshuvarya Avatar of Lord Shiva | महादेव का चौदहवाँ भिक्षुवर्य अवतार |
15 | Sureshwar Avatar of Lord Shiva | महादेव का पंद्रहवाँ सुरेश्वर अवतार |
16 | Keerat Avatar of Lord Shiva | महादेव का सोलहवाँ किरात अवतार |
17 | Brahmachari avatar of Lord Shiva | महादेव का सत्रहवाँ ब्रह्मचारी अवतार |
18 | Sunatnartak avatar of Lord Shiva | महादेव का अठारहवाँ सुनटनर्तक अवतार |
19 | Yaksheshwar Avatar of Lord Shiva | महादेव का उन्नीसवाँ यक्ष अवतार |
महादेव का यतिनाथ अवतार – Avatars of Lord Shiva : Yatinath
भगवान शिव के प्रमुख आवतारो में से यह यतिनाथ अवतार लेकर उन्होंने अतिथि के महत्व का प्रतिपादन किया था।उन्होंने यतिनाथ अवतार में अतिथि बनकर भील दम्पत्ति की परीक्षा ली थी| उनकी परीक्षा के कारण भील दम्पत्ति को अपने प्राण गवाने पड़ेथे | फल स्वरूप उनके पूर्व जन्म में भगवान् शिव ने हंस का रूप धारण कर उन्हें मिलाने का कार्य किया था |
यतिनाथ अवतार कथा
अंबुदाचल पर्वत के निकट आहुक और आहुका नामक भील दंपति रहते थे।दोनों भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे।एक बार सन्ध्याकाल भगवान शिव संन्यासी का रूप लिए उनकी परीक्षा लेने आये | भील दंपति ने बड़े प्रेम से यतिराज का सत्कार किया। यतीश्वर ने उस रात उनके घर ही व्यतीत करने परामर्श और कहा आज की रात्रि आप मुझे आपके घर में स्थान दो। प्रातः होते ही मैं चला जाऊँगा। भील दंपति बहूत गरीब थे उनके पास रहने के लिए केवल दो लोगो का ही स्थान था | फिरभी उन्होंने अतिथि की इच्छा का सम्मान रखते हुए यतीश्वर को आपने घर में स्थान दिया|
घर में केवल दो लोगो के किये स्थान होने पर भीलनी अपने पति से कहती हे “स्वामी आप दोनों घर के भीतर रहिए।मैं बाहर खड़ी हो कर पहरा दूगी “भील को यह उचित न लगने पर स्वयं बाहर खड़े रह कर पहरा देने का निर्णय लिया| भील बाहर खड़ा हो कर पहरा देने लगा| मध्यरात्रि को सिंहों ने भील पर हमला कर दिया और उनका शिकार बना दिया | भील को खा कर सिंहों ने हड्डियाँ वहीं पर छोड़ दीं| दुशरे दिन जब भील की पत्नी ने ये द्र्श्य देखा तो कूट कूट कर रो पड़ी |
भगवान् शव के अवतार यतिनाथं
यह देख यतिनाथ को बहुत दुख हुआ |यतिनाथ को दुःखी देख भीलनी धैर्यपूर्वक बोली कृपया आप दुख न करें। भीलराज ने अपने कर्तव्य का पालन करने में अपना बलिदान दिया है वह धन्य और कृतार्थ हो गये और पति के भाग्य को सराहती रही तथा उसकी अस्थियों के साथ सती होने के लिए उद्यत हुई।भीलनी ने यतिनाथ से कहा “आप प्रसन्नतापूर्वक मेरे लिए चिता तैयार कर दें।”
भीलनी ने अपने पतिव्रत्य धर्म के अनुसार उस चिता में प्रवेश किया | भीलनी के चिता में प्रवेश करते ही भगवान् शिव यतिनाथ अवतार मे से अपने असली स्वरूप में आये और भीलनी को कहा “में तुम्हारे पतिव्रत धर्म से और अतिथि सम्मान के कार्य से प्रशन्न हु,में तुम दोने वरदान देता हु तुम अपने पुनःजन्म में दोनों पति-पत्नी रहोगे, तुम्हारा पति निषध देश की राजधानी में राजा वीरसेन के पुत्र के रूप में और तुम विदर्भ नगर में भीमराज की पुत्री के रूप जन्म लोगे | यह आशीर्वाद देकर महादेव शिव लोक चले गए और भीलनी आपने पति की चिटा के साथ देह का त्याग करती हे और भील दंपति को आपने दुसरे जन्म लेने तक शिवलोक प्राप्तहोता हे|
महादेव का बारवा अवतार कृष्णदर्शन – Krishna Darsahn Aavtar of Lord Shiva
महादेव का 13 अवतार अवधूत – Avdhut avatar of Lord Shiva
निष्कर्ष
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