महादेव का 19 अवतार : यक्ष अवतार – Lord shiva Yaksha Avatar

Lord shiva Yaksha Avatar - यक्ष अवतार

दोस्तों क्यों भगवान् शिव को नीलकंठ क्यों कहते हे ? क्यों लिया था भगवान् शिव ने Lord shiva Yaksha Avatar यक्ष अवतार ? क्या आप देवों के देव महादेव के अवतार के बारेमे जानना चाहते हो ? तो आप सही आर्टिकल पढ़ रहे हो । आपसे अनुरोध है की कुछ समय दे कर पुरे लेख को अच्छी तरह से पढ़े ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके।

1Veerabhadra Avatar of Lord Shivaवीरभद्र: महादेव का प्रथम अवतार
2Piplaad Avatar of Lord Shivaपिप्पलाद: महादेव का द्वितीय अवतार
3Nandi Avatar of Lord Shivaनंदी: महादेव का तृतीय अवतार
4Bhairava Avatar of Lord Shivaभैरव: महादेव का चौथा अवतार
5Ashwatthama Avatar of Lord Shivaअश्वत्थामा: महादेव का पाँचवाँ अवतार
6Sharabha Avatar of Lord Shivaशरभावतार: महादेव का छठा अवतार
7Grihapati avatar of Lord Shivaगृहपति: महादेव का सातवाँ अवतार
8Durvasa avatar of Lord Shivaऋषि दुर्वासा: महादेव का आठवाँ अवतार
9Hanuman Avatar of Lord Shivaहनुमान: महादेव का नोवाँ अवतार
10Rishabha Avatar of Lord Shivaवृषभ: महादेव का दसवाँ अवतार
11Yatinath Avatar of Lord Shivaयतिनाथ: महादेव का ग्यारहवाँ अवतार
12Krishna Darshan Avatar of Lord Shivaकृष्णदर्शन: महादेव का बारहवाँ अवतार
13Avadhut Avatar of Lord Shivaअवधूत: महादेव का तेरहवाँ अवतार
14Bhikshuvarya Avatar of Lord Shivaभिक्षुवर्य: महादेव का चौदहवाँ अवतार
15Sureshwar Avatar of Lord Shivaसुरेश्वर: महादेव का पंद्रहवाँ अवतार
16Keerat Avatar of Lord Shivaकिरात: महादेव का सोलहवाँ अवतार
17Brahmachari avatar of Lord Shivaब्रह्मचारी: महादेव का सत्रहवाँ अवतार
18Sunatnartak avatar of Lord Shivaसुनटनर्तक: महादेव का अठारहवाँ अवतार
19Yaksheshwar Avatar of Lord Shivaयक्ष: महादेव का उन्नीसवाँ अवतार

महादेव का उन्नीसवां यक्ष अवतार –  Yaksha Avatar Of Lord Shiva

शिव महापुराण में भगवान शिव के १९ अवतारों का वर्णन मिलता है।जिसमे यक्ष अवतार उनका उन्नीसवां अवतार माना जाता हे | पुराणों के अनुशार महादेव ने यह अवतार देवताओ का अभिमान तोड़ने के लिए और देवताओ को सबक सिखाने के लिए लिया था| 

भगवान् शिव को नीलकंठ क्यों कहते हे

यह कथा देवता और असुरों द्वारा किए गए समुद्रमंथन के समय की हे | जब समुद्रमंथन हो रहा था तब समृद्ध मेसे प्रथम हलाहल निकला था | जिसे देवताओ ने और असुरों ने न लेने पर भगवान शिवजी ने उनके कंठ में ग्रहण किया था| जिस वजह से शिवजी को नीलकंठ भी कहा जाता हे |समुद्रमंथन से निकल ने वाले बाकि के रत्न देवता और असुरों ने आपस में बात लिए थे | जब समुद्रमंथन दर्मियान अमृत कलस निकला तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर देवताो को अमृत पान करवाया एवं असुरों को सल से मदिरा पान करवाया था | 

अमृत को पीने के बाद देवताओ में अहंकार और अभिमान आचूका था | उन्हें लग राहा था की अब उन्हें कोइ भी मार नही सकता और उनकी पराजय होना आशंभव हे | वे अब कुछ भी कार्य करने के लिए मुक्त हे क्युकी उनकी मृत्य नहीं हो पाएगी | वे सब आपने आपको सर्व श्रेष्ठ मानने लगे | उन्हें लगा की वही सबसे बलशाली हैं।एवं देवताओ अपने आप को भगवान विष्णु और भगवान शिवजी से भी अधिक बलशाली होने का दावा करने लगे | 

क्यों लिया था भगवान् शिव ने यक्ष अवतार

यह देख भगवान शिवजी ने उनके इस प्रकार के अभिमान को तोड़ने का निर्णय लिया | उन्होंने सभी देवताओ कोअपने पास बुलाया और उन्हें समक्ष एक तिनका रखा और सभी देवताओ से कहा इस सामान्य तिनके को जो भी उठा सके वह आप सब मेसे श्रेष्ठ माना जाएगा |आप इस तिनके को काट भी सकते हे जला भी सकते हे और डूबा भी सकते हे|जो यह तिनके को उथा सके यक्ष उसी में हे | महादेव की यह बात सुन देवता हस पड़े |उन्हें हस्ता देख महादेव ने उन्हें को कार्य दिया हे वह पूरा करने का आदेश दिया |

जब एक एक कर सारे देवतऔ ने इस तिनके को उठाने का पर्यटन किया लेकिन एकभी देव उस तिनके को हिला नहीं पाया | इस बार सारे देवताओ ने उस तिनके को एक साथ उठाने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगाके प्रयत्न किया परन्तु इस बार भी देवता उस तिनके को हिला भी नहीं पाए।

यह देख सारे देवता में आश्चर्य पद गए | उसी समय आकाशवाणी हुई की यक्ष सब गर्वों के विनाशक शंकर भगवान हैं।देवताओ ने यह सुना और उन्हें यह अहसाह हुआ की महादेव ही थे जिन्हो ने विष का सेवन किया था और देवता एवं असुर दोनों को बचाया था | सभी देवताओं ने भगवान शंकर की स्तुति की तथा अपने अपराध के लिए क्षमा मांगी।

भगवान शिव का 19वा अवतार कौन सा हे ?

महादेव का उन्नीसवां यक्ष अवतार हे

भगवान् शिव को नीलकंठ क्यों कहते हे

विष के कारण भगवान शिव का गला नीला हो गया और इसलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा

क्यों लिया था भगवान् शिव ने यक्ष अवतार ?

शिवजी ने देवताओं के मिथ्या अभिमान को दूर करने के लिए यक्ष अवतार धारण किया था

निष्कर्ष
दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि भगवान् शिव के “यक्ष अवतार” का यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके | आपका एक शेयर हमें आपके लिए नए आर्टिकल लाने के लिए प्रेरित करता है | भगवान् शिव से जुडी कथाओ के बारेमे जानने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे धन्यवाद ! 🙏 हर हर महादेव 🙏

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महादेव का 18 अवतार : ब्रह्मचारी | Lord Shiva Brahmchari Avatar

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