दोस्तों क्या आप “महादेव का चौथा काल भैरव अवतार” के बारेमे जानना चाहते हे ? क्या आप भगवन शिव के अवतार के बारेमे जानना चाहते हे? तो आप सही आर्टिकल पढ़ रहे हो । आपसे अनुरोध है की कुछ समय दे कर पुरे लेख को अच्छी तरह से पढ़े ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके।
1 | Veerabhadra Avatar of Lord Shiva | महादेव का प्रथम अवतार | वीरभद्र अवतार |
2 | Piplaad Avatar of Lord Shiva | महादेव का द्वितीय अवतार | पिप्पलाद अवतार |
3 | Nandi Avatar of Lord Shiva | महादेव का तृतीय अवतार | नंदी अवतार |
4 | Bhairava Avatar of Lord Shiva | महादेव का चौथा अवतार | भैरव अवतार |
5 | Ashwatthama Avatar of Lord Shiva | महादेव का पाँचवाँ अवतार | अश्वत्थामा अवतार |
6 | Sharabha Avatar of Lord Shiva | महादेव का छठा अवतार | शरभावतार |
7 | Grihapati avatar of Lord Shiva | महादेव का सातवाँ अवतार | गृहपति अवतार |
8 | Durvasa avatar of Lord Shiva | महादेव का आठवाँ अवतार | ऋषि दुर्वासा |
9 | Hanuman Avatar of Lord Shiva | महादेव का नोवाँ अवतार | हनुमान अवतार |
10 | Rishabha Avatar of Lord Shiva | महादेव का दसवाँ अवतार | वृषभ अवतार |
11 | Yatinath Avatar of Lord Shiva | महादेव का ग्यारहवाँ अवतार | यतिनाथ अवतार |
12 | Krishna Darshan Avatar of Lord Shiva | महादेव का बारहवाँ अवतार | कृष्णदर्शन अवतार |
13 | Avadhut Avatar of Lord Shiva | महादेव का तेरहवाँ अवतार | अवधूत अवतार |
14 | Bhikshuvarya Avatar of Lord Shiva | महादेव का चौदहवाँ अवतार | भिक्षुवर्य अवतार |
15 | Sureshwar Avatar of Lord Shiva | महादेव का पंद्रहवाँ अवतार | सुरेश्वर अवतार |
16 | Keerat Avatar of Lord Shiva | महादेव का सोलहवाँ अवतार | किरात अवतार |
17 | Brahmachari avatar of Lord Shiva | महादेव का सत्रहवाँ अवतार | ब्रह्मचारी अवतार |
18 | Sunatnartak avatar of Lord Shiva | महादेव का अठारहवाँ अवतार | सुनटनर्तक अवतार |
19 | Yaksheshwar Avatar of Lord Shiva | महादेव का उन्नीसवाँ अवतार | यक्ष अवतार |
भगवान शिव के प्रमुख १९ अवतार
हिंदू पौराणिक कथाओ में भगवान शिव के प्रमुख १९ अवतार बताये गए हैं |जिनमें महादेव का चौथा अवतार काल भैरव का हे|काल भैरव का नाम सुनते ही उनके कार्य का अनुमान हो जाता है|भगवान शिव के इस अवतार को क्रोधित और उग्र माना जाता हे परन्तु महादेव का यह अवतार कृपालु और भक्तवत्सल हैं |
काल भैरव अवतार कथा
एक समय की बात हे सभी देवताओं और ऋषिमुनिओ के बीज उत्तम तत्व को लेकर प्रश्न उपस्थित हुआ|यह प्रश्न का उत्तर ढूंढने के लिए सभी देवगण और ऋषि ब्रम्हाजी के पास पोहचे|उस समय ब्रम्हाजी मेरु पर्वत के शिखर पर बिराजमान थे।जब ब्रम्हाजी से पूछा गया की इस संसार में उत्तम तत्व कोनसा हे ?तो ब्रम्हाजीने बताय की “इस संसार की रचना मेने की हे तो इस संसार का उत्तम तत्व में स्वयं हु” यानि सर्वश्रेष्ठ और सर्वोच्य ब्रम्हाजीने स्वयं को बताया|किन्तु भगवान विष्णु इस बात से सहमत नहीं हुए|उन्होंने कहा कि में इस समस्त का सृष्टि पालनकर्ता और परमपुरष परमात्मा हु।तभी उनके बिच एक महान ज्योति प्रकट हुई।
भगवान् शिव हुए क्रोधित
उस दिव्य ज्योति में उन्होंने एक पुरष का एक आकर दिखने लगा।वे ओर कोय नहीं त्रीनेत्र वाले महान पुरुष भगवान शिव थे|उनके हाथ में त्रिशूल था, सर्प और चंद्र के अलंकार धारण किये हुए थे।भगवान शिव को देख कर ब्रम्हाजीने तिरस्कारयुक्त वचन का उच्चार किया|और महादेव के मस्तक पर बिराजमान चंद्र से कहा” चंद्रशेखर तुम मेरे पुत्र हो|अत: मेरी शरण में आओ”| ब्रह्माजी की ऐसी अहंकारी बात सुनकर भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए|
उनके क्रोध से कम्पायमान और विशाल दण्डधारी एक प्रचण्डकाय काया से वहां एक तेज-पुंज प्रकट हुआ और उसमें एक काल पुरुष दिखलाई पड़ा|
कैसे हुए काल भैरव जी की उत्पत्ति
वह महादेव का रौद्र रूप था और इस तरह काल भैरव जी की उत्पत्ति हुई|भगवान शिव के इस अवतार की उत्पत्ति ब्रम्हाजी ने किये अपमान का प्रतिषोध लेने के लिए हुआ था|काल भैरव ने अपनी ऊँगली के नाखून से पंचमुखी ब्रम्हाजी का शिर धड़ से अलग कर दिया|इस पूर्व ब्रम्हाजी के पांच शिर हुआ करते थे चार शिर चार दशाओ की तरफ और एक ऊपर आकाश की तरफ|भैरवजी ने उनके आकाश की तरफ रहने वाले शिर को काट दिया था|ब्रम्हाजी पर प्रहार करने की वजह से काल भैरव को ब्रम्ह हत्या का पाप लगा था |
काशी और काल भैरव का रहस्य
यह पाप से मुक्ति पाने हेतु भगवान् शिव ने काल भैरव को मृत्यु लोक में यानिकि पृथ्वी पर रह कर पाप का प्रायश्चित करने का मार्ग बताया |
काल भैरव पृथ्वी पर आने के बाद ब्रम्हाजी का शिर उनके हाथों से छूट गया और काल भैरव को ब्रम्ह हत्या के पाप से मुक्ति मिली| वे जिस जगह पर थे वे जगह आज के समय में काशी नाम प्रशिद्ध हे|और मान्यता हे की पाप से मुक्ति मिलने के बाद काल भैरव वही रहे और काशी नगरी काल भैरव ने ही बसाइ हैं |
महादेव का पाँचवा अवतार : अश्वत्थामा | Ashwatthama avtar of Lord Shiva
भगवान शिव का छथा शरभ अवतार | Lord Shiva Sharbha Avtar
FAQ For Lord Shiva Kaal bhairav (काल भैरव अवतार) avatar:
काल भैरव महादेव का चौथा अवतार हे
काल भैरव भगवान शिव का उग्र रूप हैं । वह दंड देने वाला एक अवतार है
काल+भैरव दो शब्दों से मिलकर बना है। काल और भैरव। काल का अर्थ मृत्यु, डर और अंत। भैरव का मतलब है भय को हरने वाला यानी जिसने भय पर जीत हासिल किया हो।
निष्कर्ष
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