महादेव का पाँचवा अश्वत्थामा अवतार | Ashwatthama avtar of Lord Shiva

Ashwatthama avtar of Lord Shiva

दोस्तों क्या आप “महादेव का पाँचवा अश्वत्थामा अवतार” के बारेमे जानना चाहते हे ? क्या आप भगवन शिव के अवतार के बारेमे जानना चाहते हे? तो आप सही आर्टिकल पढ़ रहे हो । आपसे अनुरोध है की कुछ समय दे कर पुरे लेख को अच्छी तरह से पढ़े ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके।

भगवान शंकर का पांचवा अवतार अश्वथामा माना जाता है। महाभारत के अनुसार पांडवों के जो गुरु थे द्रोणाचार्य उनके पुत्र अश्वत्थामा (Ashwathama) यम, काल, क्रोध के अंशावतार थे।

1Veerabhadra Avatar of Lord Shivaमहादेव का प्रथम अवतारवीरभद्र अवतार
2Piplaad Avatar of Lord Shivaमहादेव का द्वितीय अवतारपिप्पलाद अवतार
3Nandi Avatar of Lord Shivaमहादेव का तृतीय अवतारनंदी अवतार
4Bhairava Avatar of Lord Shivaमहादेव का चौथा अवतारभैरव अवतार
5Ashwatthama Avatar of Lord Shivaमहादेव का पाँचवाँ अवतारअश्वत्थामा अवतार
6Sharabha Avatar of Lord Shivaमहादेव का छठा अवतारशरभावतार
7Grihapati avatar of Lord Shivaमहादेव का सातवाँ अवतारगृहपति अवतार
8Durvasa avatar of Lord Shivaमहादेव का आठवाँ अवतारऋषि दुर्वासा
9Hanuman Avatar of Lord Shivaमहादेव का नोवाँ अवतारहनुमान अवतार
10Rishabha Avatar of Lord Shivaमहादेव का दसवाँ अवतारवृषभ अवतार
11Yatinath Avatar of Lord Shivaमहादेव का ग्यारहवाँ अवतारयतिनाथ अवतार
12Krishna Darshan Avatar of Lord Shivaमहादेव का बारहवाँ अवतारकृष्णदर्शन अवतार
13Avadhut Avatar of Lord Shivaमहादेव का तेरहवाँ अवतारअवधूत अवतार
14Bhikshuvarya Avatar of Lord Shivaमहादेव का चौदहवाँ अवतारभिक्षुवर्य अवतार
15Sureshwar Avatar of Lord Shivaमहादेव का पंद्रहवाँ अवतारसुरेश्वर अवतार
16Keerat Avatar of Lord Shivaमहादेव का सोलहवाँ अवतारकिरात अवतार
17Brahmachari avatar of Lord Shivaमहादेव का सत्रहवाँ अवतारब्रह्मचारी अवतार
18Sunatnartak avatar of Lord Shivaमहादेव का अठारहवाँ अवतारसुनटनर्तक अवतार
19Yaksheshwar Avatar of Lord Shivaमहादेव का उन्नीसवाँ अवतारयक्ष अवतार

भगवान् शिव के अश्वत्थामा अवतार की कथा

भगवान शिव के प्रमुख अवतारों में एक अवतार अश्वत्थामामन जाता हैं|अश्वत्थामा महाभारत युद्ध के वीर योद्धाओ में से हे |

महाभारत युद्ध के विषय में तो आपको पता ही होगा|महाभारत एक धर्म युद्ध था जो धरती पर अधर्म का बोज बढ़ने के कारण हुआ था|परन्तु यह जानकर आश्चर्य होगा की महाभारत युद्ध में शामिल होने वाले प्रत्येक पात्र किसी ना किसी परम पुरूष के अवतार थे|जितने भी प्रमुख पात्र थे वे सभी देवता, गंधर्व, यक्ष, रुद्र, वसु, अप्सरा, राक्षस तथा ऋषियों के अंशावतार थे।

महभारत के अवतार

जैसे भगवान कृष्ण विष्णु के,पांच पांडव अलग अलग देवताओ से निर्मित थे,भीष्म के रूप में ‘द्यु’ नामक वसु,द्रोणाचार्य के रूप बृहस्पति,ठीक इशी तरह अश्‍वत्थामा को महादेव,यम, काल और क्रोध के सम्मिलित अंश से उत्पन्न किया गया था।

अश्वत्थामा अवतार कथा

कौरव-पांडव के गुरु द्रोणाचार्य महादेव के बहुत बदें भक्त थे|गुरु द्रोणाचार्य ने और माता कृपि ने पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान् शिव की कठोर तपश्या की थी|उनकी सच्ची भक्ति और तपश्या को देख भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया|

कुछ समय बाद माता कृपि ने एक सुन्दर तेजश्वी बाल़क को जन्म दिया|जिसका नाम अश्वत्थामा रखा गया|जन्म से ही अश्वत्थामा के मस्तक में एक अमूल्य मणि था जिसे अश्वत्थामा को मृत्यु के भय से मुक्त कर दिया था|

अश्वत्थामा अपने पिता की तरह शास्त्र विद्या में निपूण थे।अश्वत्थामा युद्ध में ये कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे और इस कारण उनके पिता गुरु द्रोणाचार्य कोभी कौरव-पक्षमें रहना पड़ा था|

क्यों द्रोणाचार्य की मृत्यु हुए

भगवान् कृष्णा जानते थे की अश्वत्थामा के पास अमूल्य मणि होने के कारण उनकी मृत्यु संभव नथी थी और अपने पुत्र की रक्षा हेतु गुरु द्रोण अधर्म पक्ष में रहभी सबका संहार कर शकते हे| इस वजह से श्रीकृष्ण ने कूटनीति का सहारा लिया और योजना बनाए|योजना के अनुशार यह बात युद्धभूमि में फेला दी कि “अश्वत्थामा मारा गया”

जब गुरु द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर से अश्वत्थामा की सत्यता जानना चाही तो उन्होने जवाब दिया-“अश्वत्थामा मारा गया “|परन्तु अश्वत्थामा नामक नर हाथी मारा गया|यह वचन का उच्चारण धीरे स्वर में किया और द्रोणाचार्य जानते थे की धर्मराज युधिष्ठिर कभी झूट नथी बोलते और गुरु द्रोणाचार्य ने हथियार त्याग दिए और उनकी मृत्यु हो गए |

अश्व्थामा ने किया नारायणास्त्र का प्रयोग

अश्वत्थामा ने द्रोणाचार्य वध के पश्चात अपने पिता की निर्मम हत्या का बदला लेने के लिए पांडवों पर नारायण अस्त्र का प्रयोग किया था।।अश्वत्थामा ने युद्ध पश्चात कूटनीति से द्रोपदी के पाँचो पुत्र और का वध कर दिया और अभिमन्यु पुत्र परीक्षित पर बह्मशीर्ष अस्त्र का प्रयोग कर गर्भ में ही हत्या करने का प्रयोग किया।जो देख श्रीकृष्ण को क्रोध आया और अश्वत्थामा के मस्तक पर से अमूल्य मणि निकाल दी और प्रलय काल तक अमर रहने का श्राप दिया|

मानतयात हे की यह श्राप के कारण महादेव यह अवतार अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं।

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निष्कर्ष
दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि भगवान् शिव के “महादेव का पाँचवा अवतार : अश्वत्थामा” का यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके |

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