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Homeधर्म संसारBarbarik story - Mahabharat | वीर बर्बरीक कहानी

Barbarik story – Mahabharat | वीर बर्बरीक कहानी

Barbarik Story : महाभारत काल का ऐसा योद्धा बर्बरीक अगर महाभारत का युद्ध लड़ता तो महाभारत युद्ध एक मिनट में खत्म हो जाता। बर्बरीक की गिनती दुनिया श्रेष्ठ धनुर्धरों में की जाती है र्बरीक के लिए तीन बाण ही काफी थे जिसके बल पर वे कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे क्यों श्रीकृष्ण ने सुदर्शनचक्र से कांटा बर्बरीक का सिर ?

Barbarik or Barbarika or Barbaric – The strongest warrior in Mahabharata – Warrior who could finish Kurukshetra war in 1 minute – Barbarik Story Mahabharat Barbaric also known as Khatushyamji

बर्बरीक का जीवन – Barbaric Story in Hindi

नाम:बर्बरीक, खाटु श्याम जी
पिता:घटोत्कच
माता:अहिलावती
पौत्र:गदाधारी भीमसेन
दादी:हिडिम्बा
बर्बरीक को 3 तीर किसने दिए थे?देवी कामख्या
क्यों और किसने बर्बरीक का सर काटा?श्रीकृष्ण

बर्बरीक जो अकेले ही ख़त्म कर सकता था महाभारत

महाभारत का वीर योद्धा बर्बरीक जो एक ही बाण से खत्म कर सकता था महाभारत का युद्ध फिर किस कारण भगवान श्रीकृष्ण ने उससे सिर मांग लिया था?

दोसत महाभारत में वर्णित कई ऐसी कथाएं हैं जिससे लोग आज भी अनजान हैं।दोस्तों इस आर्टिक्ल में हम घटोत्कच पुत्र वीर बर्बरीक के बारेमे बताएँगे

बर्बरीक के पास ऐसी दिव्यशक्तियां थी जिससे वह अकेले ही ख़त्म कर सकता था महाभारत युद्ध 

Who was Barbarik बर्बरीक कौन था ? Barbarik story – Mahabharat | वीर बर्बरीक कहानी

बर्बरीक घटोत्कच का पुत्र और भीम का पौत्र था।बचपन में एक दिन जब वह अपनी दादी हिडिम्बा के साथ आराम कर रहा था । तभी उसने दादी हडिम्बा से पुछा मुक्ति अर्थात मोक्ष क्या हे ?

हिडिम्बा ने कहा-मुक्ति हर मनुष्य का परम उदेश्य होता है जिसे पाकर मनुष्य मृत्यु और जीवन के चक्र से मुक्त हो जाता है अर्थात परमात्मा में लीन हो जाता है | फिर बर्बरीक ने उनकी दादी हिडिमंबा से मुक्ति पाने का उपाय पुछा।

हिडिम्बा ने बर्बरीक के सवाल का जवाब देते हुए कहा-जो मनुष्य अपने कर्म-फल को त्याग देता है उसे मुक्ति प्राप्त होती है।किन्तु इसे पाने में मनुष्य को कई जन्म लग जाते हैं।

लेकिन जिस किसी मनुष्य की मृत्यु,प्रभु के हाथों होती है,वह उसी समय परमात्मा में लीन हो जाता है दादी हिडिम्बा की बात सुनकर बर्बरीक ने भगवान् श्रीकृष्ण के हाथो मुक्ति पाने का निश्चय कर लिया 

बर्बरीक की कठिन तपस्या

इसके बाद बर्बरीक ने महिसागर संगम पर कठिन तपस्या शुरू कर दी। बर्बरीक ने देवी कामख्या की तपस्या करके उनसे वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसे युद्ध में कोई भी पराजित नहीं कर सकता|बर्बरीक को देवी कामख्या ने तीन ऐसे अद्वितीय तीर दिए थे जिसे चलाने से सम्पूर्ण दुश्मन सेना का नाश किया जा सकता था।

कुछ समय बाद कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध शुरू होने वाला था।बर्बरीक ने भी युद्ध में भाग लेने के लिए कुरुक्षेत्र की ओर प्रस्थान किया।इधर भगवान श्रीकृष्ण बर्बरीक की शक्ति से भलीभांति परिचित थे।उन्हें डर था की कही बर्बरीक के कारण इस युद्ध में कौरवों की जीत न हो जाये क्योंकि बर्बरीक ने प्रतिज्ञा ली थी की वह कमजोर पक्ष से युद्ध करेगा। 

बर्बरीक को रोकने के उदेश्य से सर्वव्यापी श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण वेश धारण कर बर्बरीक को रोका।यह जानकर उनकी हँसी भी उड़ायी की वह मात्र तीन बाण लेकर युद्ध में सम्मिलित होने आया है।ब्राह्मण रुपी कृष्ण की बातें सुनकर बर्बरीक ने कहा मेरा एक बाण ही शत्रु सेना को परास्त करने के लिये पर्याप्त है।

ब्रह्मशिरा अस्त्र – सुदर्शनचक्र | Weapon Brahmseera astra Vs Sudarshanchakra

यदि मैंने सारे बाणों का प्रयोग किया तो तीनों लोकों में हाहाकार मच जाएगा ।”इस पर श्रीकृष्ण ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा,“इस पीपल के पेड़ के सभी पत्तों में छेदकर दिखलाओ”जिसके नीचे वो दोनो खड़े थे।

बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार करते हुए बाण पेड़ के पत्तों की ओर चलाया।तीर ने क्षण भर में पेड़ के सभी पत्तों को भेद दिया और श्रीकृष्ण के पैर के पास चक्कर लगाने लगा 

क्योंकि एक पत्ता भगवान् श्रीकृष्ण ने अपने पैर के नीचे छुपा लिया था। बर्बरीक के पराक्रम को देखने के लिए |

बर्बरीक की यह शक्ति देखकर श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा की वह युद्ध में पांडव अर्थात धर्म की और से लडे किन्तु बर्बरीक ने कहा वह अपने वचन से बंधे हुए हे की वह युद्ध में निर्बलों का ही साथ देंगे  

क्यों काटा श्रीकृष्ण ने सुदर्शनचक्र से बर्बरीक का सर

तत्पश्चात बर्बरीक ने एक बाण पांडवों की शिविर की ओर चलाना चाहा लेकिन श्री कृष्ण ने धर्म की विजय के लिए सुदर्शन चक्र से बर्बरीक का सर उसके धड़ से अलग कर दिया।फिर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा बर्बरीक तुमने निर्बल परन्तु अधर्मियों का साथ देने की प्रतिज्ञा पूरी करने के पागलपन से मुझे विवश कर दिया की में अपने हाथो से तुम्हारा वध कर दू 

बर्बरीक ने श्री कृष्ण से कहा-प्रभु मेरा तो मुख्य उदेश्य आपके हाथों मृत्यु प्राप्त करना था।मैंने तो आपको देखते ही पहचान लिया था क्षमा करे प्रभु मेने ही जान बुज़कर आपको क्रोध दिलाकर विवश कर दिया था ताकि आप मेरा वध कर दे इसीलिए मेने अपनी अपराजिता वैष्णवी विद्या का प्रदर्शन किया था 

आपके हाथो मेरे वध को संभव बनाने के लिए ही मेने कठिन तपस्या की थी बचपन से मेरी यही मनोकामना थी प्रभु आप तो अन्तर्यामी हो

कैसे हुई बर्बरीक को मोक्ष की प्राप्ति

भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा-बर्बरीक तुमने बड़ी तपस्या से जो अस्त्र प्राप्त किये थे मुझसे युद्ध करने के लिए ताकि में तुम्हारा वध कर सकू उसी तपस्या और मुक्ति के लिए तुम्हारी लगन ने तुम्हे मोक्ष के योग्य बना दिया विधि ने तुम्हारे मोक्ष का यही समय तय किया था इसीलिए तुम मुझसे मिले और मेने तुम्हारा वध कर दिया

बर्बरीक ने कहा प्रभु आपने मेरी  मुक्ति पाने की सबसे बड़ी इच्छा तो पूरी कर दी,परन्तु परमधाम को प्रस्थान करने से पहले,

आप मेरी अंतिम इच्छा भी पूरी करके मुझे अनुग्रहित करे में धर्म और अधर्म के इस महा युद्ध में धर्म को अधर्म पर विजय प्राप्त करते हुए देखना चाहता हु में आपकी लीला देखना चाहता हु  

प्रभु ने वरदान दिया की-युद्ध के आरम्भ से समाप्ति तक तुम्हारा ये कटा हुआ सर जीवित रहेगा और तुम सम्पूर्ण युद्ध को देखसकोगे

बर्बरीक जो एक बाण से महाभारत समाप्त कर सकता था 🙏 Mahabharat Barbarik Story

YouTube Video: Barbarik story – Mahabharat

FAQ For Barbarik in Mahabharat

महाभारत में बर्बरीक की कहानी क्या है?

बर्बरीक घटोत्कच का पुत्र और भीम का पौत्र था

बर्बरीक का दूसरा नाम क्या है?

आज बर्बरीक को खाटू श्याम के नाम से पूजा जाता है। जहां कृष्ण ने उसका शीश रखा था 

वीर बर्बरीक की पत्नी का नाम क्या है?

बर्बरीक की पत्नी का नाम बर्बरीक की पत्नी का नाम मोरवी (मोर्वी) था 

बर्बरीक को तीन बाण कैसे मिले?

देवी कामख्या की तपस्या कर बर्बरीक ने तीन बाण प्राप्त किये

निष्कर्ष

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