Home Mahadev शांताकरम भुजगशयनम् | Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics

शांताकरम भुजगशयनम् | Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics

Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics - शांताकरम भुजगशयनम् हिंदी अर्थ

दोस्तों इस पोस्ट में हम ये जानेंगे की Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics किस सीरियल से लिया हे ? इस गीत में संगीत किसने दिया हे ? और इस सीरियल के निर्माता कौन हे ?

“शांताकरम भुजगशयनम्” विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम का एक लोकप्रिय श्लोक है, जो भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र मंत्र है। ह मंत्र भगवान विष्णु के विभिन्न दिव्य गुणों और रूपों का गुणगान करता है। इस मंत्र का भक्तिपूर्वक और समझ के साथ जाप करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसे उनकी सुरक्षा, कृपा और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त करने का एक साधन माना जाता है।

शांताकरम भुजगशयनम् हिंदी अर्थ

शान्ताकारंशांति का स्वरुप!
भुजगशयनंशेषनाग पर शयन करने वाले!
पद्मनाभंजिनकी नाभि से कमल की उत्पत्ति हुई है!
सुरेशंदेवों के देव!
विश्वाधारंविश्व का आधार!
गगन सदृशंआकाश के समान!
मेघवर्णंमेघ (बादल) वर्ण (रंग) के!
शुभांगम्जिनका प्रत्येक अंग मंगलकारी है!
लक्ष्मीकांतंदेवी लक्ष्मी के स्वामी
कमलनयनंकमल के सदृश्य नेत्र वाले!
योगिभिर्ध्यानगम्यंयोगी जिनका ध्यान करते हैं!
वन्देनमस्कार करना!
विष्णुंभगवान विष्णु।
भवभयहरंसंसार का भय हरने वाले!
सर्वलोकैकनाथम्संपूर्ण जगत् के स्वामी।

Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics – शांताकरम भुजगशयनम् लिरिक्स

शांताकरम भुजगशयनम्
पद्मनाभम सुरेशम
विश्वधरम गगनशत्रिषम
मेघवरनम सुभंगम
लक्ष्मीकांतम कमल नयनम्
योगविरिजाकामक्यम्

वंदे विष्णु भवभयहरम
सर्वलोकी कि नाथम
ॐ नमो नारायणाय…(2)
ॐ नमो नारायणाय…(2)

शांताकरम भुजगशयनम् हिंदी अर्थ सहित – Shantakaram Bhujagashayanam Meaning

शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥

  • शान्ताकारं – जिनकी आकृति अतिशय शांत है, वह जो धीर क्षीर गंभीर हैं,
  • भुजग-शयनं – जो शेषनाग की शैया पर शयन किए हुए हैं (विराजमान हैं),
  • पद्मनाभं – जिनकी नाभि में कमल है,
  • सुरेशं – जो ‍देवताओं के भी ईश्वर और
  • विश्वाधारं – जो संपूर्ण जगत के आधार हैं, संपूर्ण विश्व जिनकी रचना है,
  • गगन-सदृशं – जो आकाश के सदृश सर्वत्र व्याप्त हैं,
  • मेघवर्ण – नीलमेघ के समान जिनका वर्ण है,
  • शुभाङ्गम् – अतिशय सुंदर जिनके संपूर्ण अंग हैं, जो अति मनभावन एवं सुंदर है
  • लक्ष्मीकान्तं – ऐसे लक्ष्मी के कान्त ( लक्ष्मीपति )
  • कमल-नयनं – कमलनेत्र (जिनके नयन कमल के समान सुंदर हैं)
  • योगिभिर्ध्यानगम्यम् – (योगिभिर – ध्यान – गम्यम्) – जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त किए जाते हैं, (योगी जिनको प्राप्त करने के लिया हमेशा ध्यानमग्न रहते हैं)
  • वन्दे विष्णुं – भगवान श्रीविष्णु को मैं प्रणाम करता हूँ (ऐसे परमब्रम्ह श्री विष्णु को मेरा नमन है)
  • भवभय-हरं – जो जन्म-मरण रूप भय का नाश करने वाले हैं, जो सभी भय को नाश करने वाले हैं
  • सर्वलोकैक-नाथम् – जो संपूर्ण लोकों के स्वामी हैं, सभी चराचर जगत के ईश्वर है

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शांताकरम भुजगशयनम् – Shantakaram Bhujagashayanam Lyrics song in english

Shaanta-Aakaaram Bhujaga-Shayanam Padma-Naabham Sura-Iisham
Vishva-Aadhaaram Gagana-Sadrsham Megha-Varnna Shubha-Anggam|
Lakssmii-Kaantam Kamala-Nayanam Yogibhir-Dhyaana-Gamyam
Vande Vissnnum Bhava-Bhaya-Haram Sarva-Loka-Eka-Naatham ||

Om namo narayanaya….(2)
Om namo narayanaya….(2)

Meaning in English: Salutations to Sri Vishnu, Who has a Serene Appearance, Who Rests on a Serpent (Adisesha), Who has a Lotus on His Navel and Who is the Lord of the Devas, Who Sustains the Universe, Who is Boundless and Infinite like the Sky, Whose Colour is like the Cloud (Bluish) and Who has a Beautiful and Auspicious Body, Who is the Husband of Devi Lakshmi, Whose Eyes are like Lotus and Who is Attainable to the Yogis by Meditation, Salutations to That Vishnu Who Removes the Fear of Worldly Existence and Who is the Lord of All the Lokas.

  • Shantakaram: One who has a peaceful form.
  • Bhujagashayanam: One who reclines on the serpent, Adisesha.
  • Padmanabham: One whose navel is as beautiful as a lotus.
  • Suresham: Lord of all gods.
  • Vishwadharam: Supporter of the universe.
  • Gagana Sadrusham: One whose form is like the sky.
  • Meghavarnam: One whose complexion is like that of a cloud.
  • Shubhangam: One who is adorned with auspicious marks.
  • Lakshmikantam: Husband of Goddess Lakshmi.
  • Kamalanayanam: Lotus-eyed.
  • Yogibhir Dhyana Gamyam: Attainable by meditation for yogis.
  • Vande Vishnum: I bow to Lord Vishnu.
  • Bhava Bhayaharam: Remover of worldly fears.
  • Sarva Lokaika Natham: Lord of all worlds.

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं लिरिक्स – Shantakaram Bhujagashayanam Mantra

Shantakaram Bhujagashayanam” is the opening verse of a popular Hindu devotional prayer called “Vishnu Sahasranama,” which is a list of a thousand names of Lord Vishnu.

Shantakaram Bhujagashayanam Mantra Details:

TV Show :Devo Ke Dev… Mahadev (2011)
Music Composer : Sajan Rajan Mishra
Genre :Stotram
Director :Nikhil Sinha, Manish Singh
Music Director(s):Sandeep Mukherjee, Karthik Raja, Bawra Bros, Sajan Mishra, Rajan Mishra
Staring :Mohit Raina, Pooja Bose, Sonarika Bhadoria, Mouni Roy, Rushiraj Pawar, Kumar Hegde
Producer :Anirudh Pathak,Nikhil Sinha
Release Date : 18th December 2011

FAQs For Shantakaram Bhujagashayanam

विष्णु जी का मंत्र क्या है?

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक का पाठ कब करना चाहिए?

“शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं” श्लोक का पाठ किसी भी समय या दिन में किया जा सकता है। यह श्लोक विष्णु भगवान की महिमा का वर्णन करता है और उसकी पूजा एवं ध्यान में उपयोगी होता है। यदि आपके पास कोई विशेष दिन या तिथि है जिसे आप पूजा एवं ध्यान के लिए चुनना चाहते हैं, तो आप उस दिन इस श्लोक का पाठ कर सकते हैं।
श्रद्धा, आदर और ध्यान से इस श्लोक का पाठ करने से आप भगवान विष्णु की कृपा, शांति और आनंद को अनुभव कर सकते हैं

शान्ताकारं भुजगशयनं श्लोक का पाठ करने से क्या लाभ होता हे?

इस श्लोक का जाप या पाठ करने से कई लाभ मिलते हैं।
1. श्लोक की शुरुआत “शांताकारम” शब्द से होती है, जिसका अर्थ है “वह जो शांतिपूर्ण है।” इस श्लोक का जाप एक शांत वातावरण बनाने में मदद कर सकता है,
2. श्लोक का जाप परमात्मा के साथ गहरा संबंध स्थापित करने में मदद करता है।
3. नियमित रूप से श्लोक का जाप करने से भगवान विष्णु और परमात्मा के प्रति भक्ति और कृतज्ञता विकसित करने में मदद मिलती है।

निष्कर्ष 

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