हनुमान जी ने तोड़ा सत्यभामा, सुदर्शन चक्र और गरुड़ का घमंड | Hanuman Krishna Leela

satybhama ka ahnkar

दोस्तों अहंकार व्यक्ति के विवेक यानि की (सोचने-समझने की शक्ति) का नाश कर देता है। जब यही अहंकार भगवान् के भक्तो को घेरता है तब भगवान् स्वयं उनका अहंकार नष्ट करते है। दोस्तों ऐसी ही एक कहानी हे जिसमे भगवान् श्रीकृष्ण ने हनुमानजी की सहायता से सत्यभामा, सुदर्शन चक्र और गरुड़ का घमंड 

दोस्तों एक समय की बात हे जब भगवान् श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को स्वर्ग से पारिजात वृक्ष लाकर दिया था तब सत्यभामा को  इस बात का अभिमान हो गया था की वह सबसे अधिक सूंदर हे और भगवान् श्रीकृष्ण की अति प्रिय रानी हे

कैसे तोडा हनुमानजी ने सत्यभामा, सुदर्शन चक्र और गरुड़ का अहंकार

इसी प्रकार सुदर्शन चक्र ने जब इंद्र के वज्र को निष्क्रिय कर दिया, तब से उसे भी यह अभिमान हो गया था की भगवान् के पास जब युद्ध में कोई उपाय नहीं बचता हे तो वह उसकी ही मदद लेते हे |इसी तरह भगवान् का वाहन गरुड़ भी यह समज ने लगा की भगवान मेरे बिना कहीं जा ही नहीं सकते | क्योकि मेरी गति का कोई भी मुकाबला ही नहीं कर सकता 

भगवान् श्रीकृष्ण जानते थे कि उनके इन तीनों भक्तों को अहंकार हो गया है और इनका अहंकार नष्ट करने का समय आ गया है | तभी भगवान् श्रीकृष्ण ने लीला रची हनुमानजी का स्मरण किया | भगवान् श्रीकृष्ण के स्मरण करते ही हनुमानजी जान गए थे की उन्हें किस कार्य के लिए स्मरण किया हे  

सीरियल / Serialश्रीकृष्ण रामानंद सागर कृत (Ramayan Ramanand Sagar)
निर्देशक / Directorरामानंद सागर / आनंद सागर / मोती सागर (Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar)
स्वर / Singerसतीश डेहरा, चंद्रानी मुखर्जी और साथी
सहायक निर्देशक / Asst. Directorsराजेंद्र शुक्ला / श्रीधर जेट्टी / ज्योति सागर (Rajendra Shukla / Sridhar Jetty / Jyoti Sagar)
पटकथा और संवाद / Screenplay & Dialoguesरामानंद सागर (Ramanand Sagar)
कैमरा / Cameraअविनाश सतोसकर (Avinash Satoskar)
संगीत / Musicरवींद्र जैन (Ravindra Jain)
संपादक / Editorगिरीश दादा / मोरेश्वर / आर मिश्रा / सहदेव (Girish Daada / Moreshwar / R. Mishra / Sahdev)
निर्माता / Producersरामानन्द सागर / सुभाष सागर / प्रेम सागर (Ramanand Sagar / Subhash Sagar / Pren Sagar)
Cast / पात्रसर्वदमन डी. बनर्जी/ स्वप्निल जोशी / दीपक डेओलकर / संजीव शर्मा / पिंकी पारिख / रेशमा मोदी / श्वेता रस्तोगी (Sarvadaman D. Banerjee / Swapnil Joshi / Deepak Deulkar / Sanjeev Sharma / Pinky Parikh / Reshma Modi)

हनुमानजी ने तोडा गरुड़ का अहंकार

अब भगवान् श्रीकृष्ण ने गरुड़ से कहा हे गरूड़ ! तुम हनुमानजी के पास  जाकर यह केहना कि भगवान श्रीराम ने उन्हें द्वारिका बुलाया हे हा हो सके तो तुम उन्हें अपने साथ ही लेकर आना भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा पाकर गरुड़जी हनुमानजी को बुलाने चल पड़े।

गरूड़जी ने हनुमानजी के पास पहुंचकर कहा हे वानरश्रेष्ठ ! भगवान् श्री राम  ने आपको याद किया हे | आप मेरी पीठ  पर बैठ जाइये में आपको शीघ्रता से  प्रभु के पास  पंहुचा देता हु 

हनुमानजी ने विनयपूर्वक गरूड़ से कहा, आप चलिए, मैं आता हूँ। गरूड़ ने सोचा पता नहीं हनुमानजी कब पहुंचेंगे ? खैर मुझे क्या कभी भी पहुंचे मेरा कार्य तो पूरा हो गया। मैं चलता हूं। यह सोचकर गरूड़जी शीघ्रता से द्वारका की ओर चल पड़े। 

हनुमानजी ने तोडा सुदर्शनचक्र का अहंकार

इधर द्वारिका में भगवान्  श्रीकृष्ण ने श्रीराम का रूप धारण किया और सत्यभामा के साथ सिंहासन पर बैठ गए सुदर्शन चक्र को यह आदेश दिया की तुम महल के प्रवेश द्वार पर पहरा दो ध्यान रहे कि मेरी आज्ञा के बिना महल में कोई भी प्रवेश न करे पाए।भगवान की आज्ञा पाकर सुदर्शन चक्र महल के प्रवेश द्वार पर तैनात हो गए।

तभी हनुमानजी द्वार पर पोहच गए थे | सुदर्शन चक्र ने हनुमानजी को रोकते  हुए ये कहा की आप बिना आज्ञा के अंदर नहीं जा सकते, हनुमानजी सुदर्शन चक्र को मुँह में रखकर शीघ्रता से अपने प्रभु से मिलने  चले गए

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हनुमानजी ने तोडा सत्यभामा का अहंकार

हनुमानजी ने अंदर जाकर सिहासन पर बैठे प्रभु श्रीराम को प्रणाम  किया और कहा “प्रभु, आने में देर तो नहीं हुई?” साथ ही कहा, “प्रभु माता सीता कहां है? आपके पास उनके स्थान पर आज यह कौन दासी बैठी है? सत्यभामा ने यह बात सुनी तो वह बहुत ही लज्जित हो गयी थी और इसी तरह उनका सारा घमंड चूर हो गया

तभी थके हुए गरुड़देव भी वहा आ पहुंचे थे | जब गरुड़ जी ने वहा हनुमानजी को देखा तो वह चकित रह गए की मेरी गति से भी तेज गति से हनुमानजी यहाँ कैसे पहुंच गए ?  इस प्रकार गरुड़जी का भी अहंकार चूर चूर हो गया 

तभी श्रीराम ने हनुमानजी से यह पूछा कि हे पवनपुत्र ! तुम बिना आज्ञा के महल में कैसे प्रवेश कर गए ? क्या तुम्हें किसी ने प्रवेश द्वार पर रोका नहीं था ? 

हनुमानजी ने कहा मुझे क्षमा करें प्रभु … मैंने सोचा आपके दर्शनों में विलंब होगा… इसलिए इस चक्र से उलझा नहीं, उसे मैंने अपने मुंह में दबा लिया था|” यह कहकर हनुमान जी ने मुंह से सुदर्शन चक्र को निकालकर प्रभु के चरणों में रख दिया| इस प्रकार सुदर्शन चक्र का भी सारा घमंड समाप्त हो गया था 

श्रीकृष्ण हनुमान लीला रामानंद सागरKrishna Hanuman Leela

अब तीनों के घमंड चूर हो गए थे और भगवान् भी यही चाहते थे |सत्यभामा, गरुड़और सुदर्शन चक्र ने कहा प्रभु आपकी लीला अद्भुत हे | अपने भक्तों के अंहकार को अपने भक्त द्वारा ही दूर किया। आपकी जय हो प्रभु !

परमात्मा कभी अपने भक्तों में अभिमान रहने नहीं देते| अगर भगवान् श्रीकृष्ण सत्यभामा, गरुड़ और सुदर्शन चक्र का घमंड दूर न करते तो वे तीनो उनके के निकट रह नहीं सकते थे… और परमात्मा के निकट वही रह सकता है जो ‘मैं’ और ‘मेरा’ से रहित है

हनुमानजी प्रभु श्रीराम के इतने निकट इसीलिए रह पाए  क्योकि न तो प्रभु श्रीराम में अभिमान था न उनके भक्त हनुमान में न  ही कभी भगवान् श्रीराम ने कहा कि मैंने किया है और न ही हनुमान जी ने कहा कि यह मैंने किया है… इसलिए दोनों एक हो गए… न अलग थे न अलग रहे|  इसीलिए दोस्तों भगवान् श्रीराम से जुड़े व्यक्ति में कभी अभिमान हो ही नहीं सकता…

इस कहानी से हमने क्या सीखा :

दोस्तों आमतौर पर हर किसी को अपने ऊपर अभिमान हो जाता है। ये अहंकार ही इंसान और भगवान् से मिलन में सबसे बड़ी बाधा है इसीलिए मन्दिर में सदैव सिर झुकाकर आने का नियम बनाया गया हे। ताकि हम अपने अहंकार को जान सके क्योकि भक्ति मार्ग का सबसे पहला कदम है अहम और अभिमान रहित जीवन।

Hanuman Krishna Leela – हनुमान जी ने तोड़ा था सत्यभामा,सुदर्शन चक्र और गरुड़ तीनो का घमंड

Youtube Video: Satyabhama ka Ahnkar Toda

निष्कर्ष :

दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि “हनुमान जी ने तोड़ा सत्यभामा सुदर्शन चक्र और गरुड़ का घमंड” वाला यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके |

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||जय श्री राम ||

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