हमें श्रीमद्भागवत गीता को इसलिए पढ़ना चाहिए क्योंकि यह मानव जीवन का सार है जिसमें मनुष्य के हर सवाल का जवाब मिलता हैं और भगवदगीता को समस्त ग्रन्थों में सवश्रेष्ठ माना गया है वास्तव में श्रीमद्भागवत गीता सर्वशक्तिमान हैं
जब भी आपको भूख लगती है तो आप अपने पेट को भोजन देते है |
क्योकि आपको पता है की – यदि आपने कई दिनों तक लगातार अपने पेट को भोजन नहीं दिया
तो आप मरने के स्थित में आ जाओगे |
मतलब आपके अंदर मरने का एक डर है
जिसकी वजह से आप ये चीज करते रहते है |
लेकिन आपने कभी ये सोचा है की आपके मस्तिष्क को भी भोजन की जरूरत पड़ती है |
लेकिन आप उसे कभी भी उसका भोजन नहीं देते है |
मस्तिस्क का भोजन है ज्ञान (knowledge) जो हमे भगवद्गीयता या उपनिषद पढ़ने से मिलता हे
मस्तिस्क आपसे कभी नहीं कहता की यदि आपने मुझे ये ज्ञान (ये knowledge) नहीं दिया
तो में आपको खतम कर दूंगा |
इसलिए आप ऐसा नहीं करते है |
इन्शान की आदत होती है की उसे कही किसी चीज़ से एक्सट्रीम Pain ना मिले
वो उस चीज़ को नहीं करता है |
आप उस बैलगाड़ी के बेल की तरह बिल्कुल मत बने
जिसे जब तक पिछेसे डंडा पड़ेगा तब तक ही वह दौड़ेगा
नहीं तो वो रुक जायेगा |
आप हररोज भगवद्गीयता या उपनिषद पढ़े आपका ज्ञान knowledge इतना बढ़ जायेगा की
आप खुदसे अपने आप को आगे ले जायेंगे
भगवान विष्णु के दशावतार की कहानी यहाँ पर मिलेगी
श्रीमद्भगवद्गीता प्रत्येक व्यक्ति की स्वाभाविक स्थिति को बताती है कि दुनिया के लोगों की वास्तविक स्थिति क्या है और वो किस प्रकार कार्य करेंगे तभी सुखी रह पायेंगे क्योंकि इस संसार में सारे लोग अपनी मनमर्जी से कार्य कर हैं और मनमर्ज़ी से जी रहे हैं लेकिन फिर भी इस दुनिया में चारों तरफ तनाव और अशांति फैली हुई है लोगों का गुस्सा, अहंकार खत्म ही नहीं हो पा रहा है तो ऐसी परिस्थितियों से निकलने के लिए ही प्रभु ने श्रीमद्भगवद्गीता का पवित्र ज्ञान लोगों को भलाई के लिए दिया है
गीता के नियमित पाठ से हमारा मन शान्त रहता है। हमारे अंदर के सारे नकारात्मक प्रभाव नष्ट होने लगते हैं। सभी प्रकार की बुराइयों से दूरी खुद-ब-खुद बनने लगती है।