Dhanvantari Aarti Lyrics in Hindi: धनतेरस की संध्या के समय भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है और उनकी आरती की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत के कलश के साथ धन्वंतरि भगवान भी निकले थे। इसी के कारण धनतेरस के दिन इनकी भी पूजा करने का विधान है।
धन्वंतरिजी की आरती लिरिक्स – Dhanvantari Aarti Lyrics in Hindi
जय धन्वन्तरि देवा,जय धन्वन्तरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ितजन-जन सुख देवा॥
जय धन्वन्तरि देवा…॥
तुम समुद्र से निकले,अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकटआकर दूर किए॥
जय धन्वन्तरि देवा…॥
आयुर्वेद बनाया,जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का,साधन बतलाया॥
जय धन्वन्तरि देवा…॥
भुजा चार अति सुन्दर,शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति सेशोभा भारी॥
जय धन्वन्तरि देवा…॥
तुम को जो नित ध्यावे,रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका,निश्चय मिट जावे॥
जय धन्वन्तरि देवा…॥
हाथ जोड़कर प्रभुजी,दास खड़ा तेरा
वैद्य-समाज तुम्हारेचरणों का घेरा॥
जय धन्वन्तरि देवा…॥
धन्वन्तरिजी की आरतीजो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए,सुख-समृद्धि पावे॥
जय धन्वन्तरि देवा…॥
दोहा :– मूक होइ बाचाल पंगु चढ़इ गिरिबर गहन।
जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलिमल दहन।।
बोलिए सब मिलकर भगवान धन्वंतरि महाराज की जय।
भगवान धन्वंतरि के मंत्र
1- ॐ धन्वंतराये नमः।।
2- भगवान धन्वंतरि को प्रसन्न करके आरोग्य प्राप्त करने का मंत्र :
ॐ नमो भगवते महासुर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतरायेः
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय।
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्रीमहाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री औषणचक्र नारायणाय नमः।।