Mahabharat Bhagwat geeta star plus – श्री कृष्ण अर्जुन संवाद

Krishna arjun samwad

महाभारत भगवद गीता श्री कृष्ण अर्जुन संवाद

मैं ही सत्य हूँ

मैं ही संपूर्ण हूं 

मैं ही जीव हूं 

और मैं ही शिव हु

अक्षरों में अकाल हूं 

वेदों में सामवेद हूँ 

देवों में इंद्र हूँ 

प्राणियों में चेतना हूँ 

यशो में कुबेर हूं 

रुद्रों में शंकर हूँ 

वसुओं में अग्नि हूँ 

पर्वतों में सुमेरु हूँ 

और ऋषियों में भृगु हूं  

ध्वनियों में ॐकार हूं 

यज्ञों में जाप हूँ 

और वृक्षों में पवित्र पीपल हूं  

बुद्धि में स्मृति, मेघा धृति और क्षमा भी मैं ही हूं 

कीर्ति भी मैं ही हूं 

गन्धर्वो में चित्र रथ हूँ  

देवर्षियों में  नारद हूं 

और मुनियों में कपिल हूँ 

अश्वो में उच्चेश्रवा हु 

हाथियों में ऐरावत हु

और पशुओं में सिंह हूँ 

पक्षियों में गरुड़ 

मनुष्य में राजा हूँ 

और शस्त्रों में वज्र हूं

गायों में कामधेनु हु

सर्पों में वासुकी हूं 

शेषनाग हूं 

यमराज हूँ 

वरुण देव हूँ 

और वायु में भी में ही हु 

भगवान राम हूँ 

पवित्र गंगा हूं 

सृष्टि में आधी मध्य तथा अंत भी मैं ही हूं 

ब्रह्मविद्या हूं 

महाकाल हूं 

और ब्रह्मा हूं 

प्रभाव हु 

विजय हूँ 

सत्त्व हुँ 

 निश्चय, दंड ,शक्ति, नीति, मौन  

तथा तत्वज्ञान भी में हु 

वासुदेव हूँ

अर्जुन हूँ 

वेदव्यास हु

ऐसा कुछ भी नहीं जो मैं नहीं हूं 

ऐसा कोई स्थल नहीं 

जहां मैं नहीं हूं 

मैं ही समय हूं 

और मैं ही जीवन और मृत्यु हूं अर्जुन 

यहां उपस्थित सभी मनुष्य की मृत्यु बनकर खड़ा हूं 

तुम यदि शस्त्र नहीं उठाएंगे

तब भी मैं इन सब का वध कर दूंगा 

इसीलिए मोह का त्याग करो 

और अपने कर्तव्य को देखो

धर्म का भार उठाओ

गांडीव उठाकर सर  संधान करो 

युद्ध करो अर्जुन 

युद्ध करो

महाभारत स्टार प्लस भगवद गीता उपदेश – श्री कृष्ण अर्जुन संवाद में ही सत्य हु

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